Wednesday, August 26, 2020

शिक्षक दिवस पर भाषण || Short Speech on Teacher's Day in Hindi || 5th Sep...







आदरणीय शिक्षकों और मेरे सभी साथियों को सुप्रभात

आज हम सभी यहां शिक्षक दिवस मनाने के लिए और हमारे व राष्ट्र के भविष्य के निर्माण के लिए शिक्षकों के कठिन प्रयासों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इकट्ठा हुए हैं। यह हर वर्ष 5 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। डॉ. राधाकृष्णन एक विद्वान और बहुत बड़े शिक्षक थे। उन्होंने अपने जीवन के 40 वर्ष एक शिक्षक के रूप में अपने दायित्वों को पूरा किया। शिक्षा के क्षेत्र में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। उनके शिक्षा के प्रति लगन और शिक्षकों के प्रति आदर को देखते हुए उनके जन्म दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

 शिक्षक हमें अपने निरंतर प्रयासों के माध्यम से हमारे जीवन में शिक्षा के महत्व से अवगत कराते हैं। वे हमारी प्रेरणा के स्रोत होते हैं जो हमें आगे जाने और सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं। वे हमें संसार भर के महान व्यक्तित्वों का उदाहरण देकर शिक्षा की ओर प्रोत्साहित करते हैं।

हमारे माता – पिता हमें जन्म देते हैं। शिक्षक हमें सही और गलत का फर्क बता कर हमारे चरित्र का निर्माण करते हैं। शिक्षक सही मार्ग दर्शन के साथ हमारे भविष्य को उज्जवल बनाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि शिक्षकों का स्थान हमारे माता – पिता से भी ऊपर होता है। शिक्षा के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। शिक्षक हमारे अंदर की बुराइयों को दूर कर हमें एक बेहतर इंसान बनाते हैं।

हमारे जीवन में शिक्षकों के इस योगदान के लिए हमें अपने शिक्षकों का हमेशा आदर और सम्मान करना चाहिए। टीचर्स डे पर मैं सभी शिक्षकों का आभार व्यक्त करती हूं। एक बार फिर से आप सभी को शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाई।

धन्यवाद

Sunday, August 2, 2020

स्वतंत्रता दिवस भाषण || Best Speech on Independence Day (15 Aug 2020 ) i...






आदरणीय प्रिंसिपल सर, सभी शिक्षकगण, सहपाठियों और अभीभावकों को मेरा नमस्कार।


मैं आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन करती हूँ। आज हम सभी “स्वतंत्रता दिवस” मनाने के लिए यहाँ एकत्रित हुए हैं।



15 अगस्त 1947 भारत के लिए बहुत भाग्यशाली दिन था। इस दिन अंग्रजों की लगभग 200 वर्ष गुलामी के बाद हमारे देश को आज़ादी प्राप्त हुई थी। स्वतंत्रता सेनानियों के कठिन संघर्ष के बाद भारत अंग्रजों की हुकूमत से आज़ाद हुआ था। तब से ले कर आज तक 15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। भारत आज 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। ब्रिटिश शासन के दौरान देश पर कई तरह से अंग्रेजों ने अत्याचार किए, जिसके बाद कई महापुरुषों के बलिदान देने के बाद देश को आजादी मिली। भारत को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्ति दिलाने में कई महापुरुषों ने अहम भूमिका निभाई। इनमें से कुछ नाम महात्मा गांधी, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद आदि हैं।

प्रत्येक व्यक्ति के लिए स्वतंत्रता का विशेष महत्व होता इस लिए हर भारतीय के लिए यह दिन बहुत महत्व रखता है। 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रजों की परीतंत्रता के बाद स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी। स्वतंत्रता दिवस को हम राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मानते हैं। हम हर साल 15 अगस्त पर स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं इस दिन को आजादी के पहले दिन के रूप में मनाने के लिए और साथ ही उन महान सभी नेताओं के बलिदानों को भी याद करते हैं, जिन्होंने भारत को आजादी दिलाने में अपना बलिदान दिया। भारत के एक नागरिक के रुप में हमें अपने देश को विश्व का एक बेहतरीन देश बनाने के लिये और आगे बढ़ाने के लिये सभी मुमकिन प्रयास करना चाहिये।

धन्यवाद, जय हिन्द




Wednesday, July 22, 2020

कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध || Essay On "Krishna Janmashtami" || Simple Ja...







प्रस्तावना:- जन्माष्टमी हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है जन्माष्टमी पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।

जन्म अष्ठमी की तैयारी:- श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को विशेष तौर से सजाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का विधान है। इस दिन मन्दिरों में श्रीकृष्ण जी की सुंदर-सुंदर झाकिया बनाई जाती है। श्रीकृष्ण जी को झूले पर विठाया जाता है। उन्हें झूला दिया जाता है। कहि कहि रासलीला का आयोजन किया जाता है। रात ठीक 12 बजे श्रीकृष्ण जी की आरती की जाती है और प्रसाद बाटा जाता है।

जन्माष्ठमी दही हांडी उत्सव:- जन्माष्टमी के दिन देश में अनेक जगह दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में सभी जगह के बाल-गोविंदा भाग लेते हैं। छाछ-दही आदि से भरी एक मटकी रस्सी की सहायता से आसमान में लटका दी जाती है और बाल-गोविंदाओं द्वारा मटकी फोड़ने का प्रयास किया जाता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में विजेता टीम को उचित इनाम दिए जाते हैं। जो विजेता टीम मटकी फोड़ने में सफल हो जाती है वह इनाम का हकदार होती है।

जन्माष्टमी  क्यों मनाई जाती है : - जब कंश का पाप और धरती पर अत्याचार अत्यधिक बड़ गया तब उसका सर्वनाश करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने भगवान विष्णु जी के आठवे अवतार के रूप में धरती पर जन्म लिया था।

उपसंहार:- इस प्रकार श्रीकृष्ण जन्म जन्माष्टमी बहुत ही धूम धाम और हर्षोउल्लास से मनाने वाला त्योहार है। हमे भागवत गीता में दिए गए श्रीकृष्ण के उपदेशो का पालन करना चाहिए और इन्हें अपनाना चाहिए।

Thursday, July 16, 2020

राखी का त्यौहार || रक्षाबंधन पर निबंध || Raksha Bandhan Hindi Essay









प्रस्तावना

रक्षाबंधन भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। रक्षाबंधन को राखी भी कहते हैं। हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है।रक्षाबंधन भाई-बहन का त्यौहार है। रक्षाबंधन जुलाई या फिर अगस्त के महीने में आता है।
भाई-बहन के प्यार का प्रतीक

इस दिन बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँधती हैं और अपने भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं। भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वचन देता है। रक्षाबन्धन के दिन राखी बाँधने की बहुत पुरानी परम्परा है। रक्षाबंधन एक रक्षा का रिश्ता होता है जहाँ पर सभी बहन और भाई एक दूसरे के प्रति प्रेम और कर्तव्य का पालन, रक्षा का दायित्व लेते हैं और ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ रक्षाबंधन का उत्सव मनाते हैं।


रक्षा-बंधन का पौराणिक प्रसंग

राखी का त्योहार कब शुरू हुआ यह कोई नहीं जानता। लेकिन भविष्य पुराण में वर्णन मिलता है कि देव और दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ तब दानव हावी होते नज़र आने लगे। भगवान इन्द्र घबरा कर बृहस्पति के पास गये। वहां बैठी इन्द्र की पत्नी इंद्राणी सब सुन रही थी। उन्होंने रेशम का धागा मन्त्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बाँध दिया। संयोग से वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। लोगों का विश्वास है कि इन्द्र इस लड़ाई में इसी धागे की मन्त्र शक्ति से ही विजयी हुए थे। उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बाँधने की प्रथा चली आ रही है। यह धागा धन, शक्ति, हर्ष और विजय देने में पूरी तरह समर्थ माना जाता है।

इतिहास में श्री कृष्ण और द्रौपदी की कहानी प्रसिद्ध है, जिसमें जब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया तब उनकी तर्जनी में चोट आ गई। द्रौपदी ने उस समय अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उँगली पर पट्टी बाँध दी, और इस उपकार के बदले श्री कृष्ण ने द्रौपदी को किसी भी संकट में द्रौपदी की सहायता करने का वचन दिया था और उसी के चलते कृष्ण ने इस उपकार का बदला बाद में चीरहरण के समय उनकी साड़ी को बढ़ाकर चुकाया। कहते हैं परस्पर एक दूसरे की रक्षा और सहयोग की भावना रक्षाबन्धन के पर्व में यहीं से प्रारम्भ हुई।


महत्त्व

राखी का त्योहार संपूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है। हम यह पर्व सदियों से मनाते चले आ रहे हैं। आजकल इस त्योहार पर बहनें अपने भाई के घर राखी और मिठाइयाँ ले जाती हैं। भाई राखी बाँधने के पश्चात् अपनी बहन को दक्षिणा स्वरूप रुपए देते हैं या कुछ उपहार देते हैं। इस प्रकार आदान-प्रदान से भाई-बहन के मध्य प्यार और प्रगाढ़ होता है।

Wednesday, July 1, 2020

गुरु पूर्णिमा पर निबंध || Essay on Guru Purnima in Hindi || Guru Purnima...







आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरुओ, शिक्षको की पूजा और सम्मान किया जाता है। गुरु का हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है।



यह दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिन भी है।वे संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी। इस कारण उनका एक नाम वेद व्यास भी है। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। भक्तिकाल के संत घीसादास का भी जन्म इसी दिन हुआ था वे कबीरदास के शिष्य थे।

शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है। अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को 'गुरु' कहा जाता है।

गुरू पूर्णिमा का पर्व पूरे देश मनाया जाना स्वाभाविक है। भारतीय अध्यात्म में गुरु का अत्ंयंत महत्व है। सच बात तो यह है कि आदमी कितने भी अध्यात्मिक ग्रंथ पढ़ ले जब तक उसे गुरु का सानिध्य या नाम के अभाव में ज्ञान कभी नहीं मिलेगा वह कभी इस संसार का रहस्य समझ नहीं पायेगा। इसके लिये यह भी शर्त है कि गुरु को त्यागी और निष्कामी होना चाहिये। दूसरी बात यह कि गुरु भले ही कोई आश्रम वगैरह न चलाता हो पर अगर उसके पास ज्ञान है तो वही अपने शिष्य की सहायता कर सकता है। यह जरूरी नही है कि गुरु सन्यासी हो, अगर वह गृहस्थ भी हो तो उसमें अपने त्याग का भाव होना चाहिये। त्याग का अर्थ संसार का त्याग नहीं बल्कि अपने स्वाभाविक तथा नित्य कर्मों में लिप्त रहते हुए विषयों में आसक्ति रहित होने से है।

Wednesday, June 17, 2020

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर भाषण || Speech on International Yoga Day in H...







माननीय प्रधानाचार्य, आदरणीय प्रमुख अतिथि, शिक्षकगण और मेरे प्यारे विद्यार्थियों - सभी को नमस्कार!

अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाता है। यह दिन वर्ष का सबसे लम्बा दिन होता है और योग भी मनुष्य को दीर्घ जीवन प्रदान करता है। पहली बार यह दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया, जिसकी पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी

आप सभी जानते हैं कि योग का महत्व जीवन में कितना ज्यादा है। योग की मदद से हम कई सारे विकारों को दूर कर सकते हैं। योग हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य है। अगर नियमित तौर पर, रोज सुबह उठकर योग का अभ्यास किया जाया करे, तो योग हर तरह के उपचार एवं चिकित्सा से ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है। नियमित योग करने से शरीर सभी बिमारियों से दूर रहता है। योगा भारत में उत्पन्न हुआ था और इसलिए इसे "योगा" के रूप में दुनिया भर में जाना जाता है। यह हमारे शरीर से नकारात्मकता और मानसिक रोगों को दूर करने में मदद करता है। यह तनाव स्तर को कम करने और जागरूकता बढ़ाने में मदद करता है। विशेष रूप से बच्चों के लिए यह एकाग्रता शक्ति और फोकस के निर्माण में मदद करता है।



इस साल 21 जून 2020 को योग दिवस की थीम 'घर पर योग और परिवार के साथ योग है। इस थीम के मुताबिक, लोग 21 जून को सोशल मीडिया के माध्यम से सुबह सात बजे अपने परिवार के साथ योग दिवस में शामिल हो सकेंगे।

धन्यवाद।

Monday, June 15, 2020

पितृ दिवस पर निबंध || Father’s day (21 जून) Essay || Speech on Father's ...









पिता दिवस बच्चों के जीवन के विकास में पिता के योगदान को पहचानने के लिए दुनिया भर में मनाया जाता है। इस दिन हर कोई अपने पिता को विशेष महसूस कराने की कोशिश करता है। इस साल Father's day 21 जून 2020 को मनाया जाएगा। पिता हर परिवार में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है। वह अपने परिवार की ख़ुशी के लिए दिन-रात मेहनत करता है। एक पिता वह होता है जो अपने बच्चों और परिवार का ख्याल रखता है। पिता के महान बलिदान के लिए धन्यवाद देने और सम्मानित करने के लिए ही Fathers Day मनाया जाता है।

फादर्स डे की शुरूआत अमेरिका के वाशिंगटन से हुई थी।

सबसे पहले फादर्स डे को 19 जून 1910 मनाया गया था।

सोनोरा डॉड (Sonora Dodd) ने अपने पिता की याद में वॉशिंगटन के स्पोकेन शहर में इस दिन की शुरुआत की थी। सोनोरा डॉड के पिता एक किसान थे और सेना में अपनी भूमिका निभा चुके थे। सोनोरा डॉड की माँ की मृत्‍यु उनके बचपन में हो गई थी। इसके बाद उनके पिता ने उन्‍हें माता और पिता दोंनों का प्‍यार दिया था। फादर्स डे (Father’s Day) को मनाने की बात सोनोरा डॉड के दिमाग में मदर्स डे के दिन से आई थी।

अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन (Woodrow Wilson) सन 1916 में ने फादर्स डे को मनाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी।

अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने 1966 में इसे जून के तीसरे रविवार को मनाने का फैसला किया।



जिस प्रकार माँ हमारी प्रथम शिक्षिका होती है तो पिता भी एक गुरु के समान होता है जो अपने संतान रूपी शिष्य को भले ही बाहर से डांट पड़ती है लेकिन अंदर से अपने शिष्य को सम्हालते हुए जीवन में आगे बढ़ने का पाठ पढ़ाते है।

अर्थात गुरु यानी पिता उस कुम्हार के समान होता है जो अपने घड़े को सुंदर बनाने के लिए घड़े के अंदर हाथ डालते हुए बाहर से थाप देता है और उसे एक सुंदर घड़े का रूप देता है,

ठीक उसी प्रकार एक पिता भी एक गुरु के रूप में अपने शिष्य रूपी सन्तान को कठोर अनुशासन रखते हुए लेकिन मन से प्रेम भावना रखते हुए अपने बेटो को बुराई के रास्ते से बचाते हुए इस संसार में अपने संतान को सम्मानित बनाता है और और उसे सफलता के मार्ग अपर ले जाता है।

इस प्रकार जब बच्चे छोटे होते है तो पिता के रूप में अच्छे बुरे का फर्क सिखाते है और यही बच्चे जब बड़े हो जाते है तो पिता अपने बच्चो के दोस्त बनाकर एक सलाहकार के रूप में आगे बढने का मार्ग प्रसस्त करते है.