सर सी० वी० रमन महान वैज्ञानिक थे। उन्होंने 'रमन इफ़ेक्ट' का अविष्कार किया। वह प्रथम भारतीय थे जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में 'नोबेल पुरस्कार' प्राप्त किया। ‘'रमन इफ़ेक्ट' की खोज 28 फ़रवरी 1928 को हुई थी। इस महान खोज की याद में 28 फ़रवरी का दिन भारत में हर वर्ष ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है| राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के दिन विभिन्न स्कूल, कालेजों एवं विज्ञान संस्थानों में वैज्ञानिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।'राष्ट्रीय विज्ञान दिवस' का उद्देश्य विज्ञान से होने वाले लाभों के प्रति समाज में जागरूकता लाना और वैज्ञानिक सोच पैदा करना है।
प्रारंभिक जीवन
चंद्रशेखर वेंकट रमन (सी०वी० रमन) का जन्म तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली शहर में 7 नवम्बर 1888 को हुआ था। उनके पिता का नाम चन्द्रशेखर अय्यर था। उनकी माता का नाम पार्वती था।
शिक्षा
चंद्रशेखर वेंकट रमन की प्रारम्भिक शिक्षा विशाखापत्तनम में हुई।
सर सी० वी० रमन ने वर्ष 1904 में बी०ए० की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया और भौतिकी विज्ञान में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। वर्ष 1907 में उन्होंने एम० ए० की परीक्षा विशिष्ट योगयता के साथ उत्तीर्ण की।
निजी जीवन
सी०वी० रमन का विवाह 6 मई 1907 को लोकसुन्दरी अम्मल से हुआ। उनके दो पुत्र थे – चंद्रशेखर और राधाकृष्णन।
कार्य
प्रकाश के प्रकीर्णन और रमन प्रभाव की खोज
मृत्यु
मृत्यु
अपनी प्रयोगशाला में वह कार्य करते रहे और अंत में 21 नवंबर 1970 को उनकी मृत्यु हो गई थी।
सम्मान
सम्मान
रमन प्रभाव के लिए उन्हें 1921 में भौतिकी नोबेल पुरूस्कार से सम्मानित किया गया था। 1930 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। वर्ष 1957 में लेनिन शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
No comments:
Post a Comment