Saturday, November 30, 2019

छठ पूजा पर निबंध || Best Essay on "Chhath Puja" in Hindi || 10 Lines Essay on Chhathi

प्रस्तावना ‘छठ पूजा’ हिन्दुओं का प्रसिद्द त्यौहार है। यह त्यौहार हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छठी को मनाया जाता है। यह त्यौहार चार दिन तक चलता है। छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार एवं उत्तर प्रदेश तथा भारत के अन्य भागों में मनायी जाती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जानते हैं। यह त्यौहार पति की दीर्घायु और संतान सुख की कामना के लिए मनाया जाता है। इतिहास एक मान्यता के अनुसार छठ पूजा का पर्व महाभारत काल में कुंती द्वारा सूर्य देव की आराधना एवं पुत्र कर्ण के जन्म से माना जाता है। एक और कथा के मुताबिक जब लंका विजय के पश्चात रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को प्रभु राम और माता सीता ने व्रत रखा था और सूर्य देव की आराधना की थी। छठ पूजा पर्व विधि छठ पूजा के पहले दिन महिलाएँ चने की दाल, लोकी की सब्जी और रोटी आदि खाती है। दुसरे दिन वह रात को सिर्फ गुड़ की खीर खाती है जिसे खरना कहते हैं। तीसरे दिन यानि कि षष्ठी के दिन वह निर्जला व्रत रखती है और अपनी गुँजाईश के अनुसार 11, 21 या 51 फलों का प्रसाद बाँस के डालिया में बाँधकर अपने पति या बेटे को दे देती है और नदी की तरफ चल पड़ती है। जाते जाते रास्ते में महिलाएँ छठी माता के गीत गाती हैं। नदी पर पहुँचक पंडित से पूजा करवाकर शाम को कच्चे दुध से डुबते हुए सूर्य को अर्ध्य देती हैं। अगले दिन उदय होते हुए सूर्य को भी कच्चे दुध से अर्ध्य दिया जाता है और फिर वह अपना व्रत तोड़ती है। महत्त्व सुख समृद्धि के प्रतीक सूर्य देव की कृपा धरती के सभी जीव-जंतुओं पर बनी रहे

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