Saturday, November 30, 2019

गुरुनानक देव जी पर निबंध

गुरुनानक देव जी पर निबंध(GURU NANAK JI)
भूमिका- गुरुनानक देव सिक्ख धर्म के प्रथम गुरु हैं। इन्होंने ग्रन्थ साहब की रचना की जो कि गुरुमुखी भाषा में है व भजन हिन्दी भाषा में है। 
जीवन परिचय- गुरुनानक जी का जन्म लाहौर (पाकिस्तान) से 35 मील दूर तलवण्डी नाम गाँव में सन् 1523 ई. को कार्तिक पूर्णिमा (15 अप्रैल) को हुआ था। इस गाँव का नाम अब ‘ननकाना साहब’ हो गया है। पिता का नाम मेहता कालूराम और माता का नाम तृप्ता था। पिता जी गांव के पटवारी थे। नानक की एक बहन भी थी जिसका नाम नानकी था। ईश्वर पर श्रद्धा- गुरुनानक देव जी बचपन से ही भक्ति में लीन थे। तथा भगवान की भक्ति करते रहते थे। वह हमेशा साधु सन्तों की संगति में रहते थे तथा प्रभु भजन करते रहते हैं। वह बहुत दयालु भी थे तथा हमेशा असहायों की सहायता करते थे। 
वैवाहिक जीवन- उन्नीस वर्ष की अवस्था में उनका विवाह बटाला के खत्री मूल चन्द की पुत्री सुलक्खनी से हुआ। उनके दो लड़के श्री चन्द और लक्ष्मी चन्द भी हुए। फिर भी उनका मन संसारिक मोह-पाशों में नहीं बन्धा। कहते हैं कि वेई नदी के किनारे उन्हें ज्ञान प्राप्ति मिली। 
समाज सुधारक- गुरू नानक देव जी एक समाज सुधारक थे। उन्होंने अपना सारा जीवन जाति भेदभाव और राग द्वेष को मिटाने में लगा दिया। वे सबको परमात्मा की सन्तान मानते थे। दूसरों की सेवा करना ही उनका आदर्श मन्त्र था। छुआछूत, अंधविश्वासों तथा पाखण्डों का उन्होंने खुलकर विरोध किया। 
अन्तिम समय - जीवन के अन्तिम समय में गुरू नानक देव वेई के किनारे करतारपुर में रहने लगे, जहाँ उन्होंने स्वयं खेती की तथा लोगों को कर्म करने की प्रेरणा दी। गुरू अंगद देव को उन्होंने गुरू गद्दी दी और 7 सितम्बर, 1539 में ज्योति-ज्योत समा गए।

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