Wednesday, January 15, 2020

सुभाष चन्द्र बोस पर निबंध || Short Essay on Subhash Chandra Bose in hind...






प्रस्तावना:

सुभाष चन्द्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी और देशभक्त थे। नेताजी भारत के एक क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने बहुत संघर्ष किया और एक बड़ी भारतीय आबादी को स्वतंत्रता संघर्ष के लिये प्रेरित किया

जीवन परिचय:

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जन्म कटक में 1897 में 23 जनवरी को अमीर हिंदू कायस्थ परिवार में हुआ था। वह जानकीनाथ बोस (पिता) और प्रभाती देवी (मां) की संतान थे। वह अपने माता-पिता के चौदह बच्चों में से 9 वें भाई थे।

उन्होंने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा कटक से पूरी की लेकिन मैट्रिक की डिग्री कलकत्ता और बी.ए. कलकत्ता विश्वविद्यालय से डिग्री (1918 में) प्राप्त की। उच्च अध्ययन करने के लिए वे 1919 में इंग्लैंड गए। वह चित्तरंजन दास (एक बंगाली राजनीतिक नेता) से अत्यधिक प्रभावित थे और जल्द ही भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गए। 

उनके कार्य:

उन्होंने स्वराज नामक अखबार के माध्यम से लोगों के सामने अपने विचार व्यक्त करना शुरू किया। उन्होंने ब्रिटिश शासन का विरोध किया और भारतीय राजनीति में रुचि ली। उनकी सक्रिय भागीदारी के कारण, उन्हें अखिल भारतीय युवा कांग्रेस अध्यक्ष और बंगाल राज्य कांग्रेस सचिव के रूप में चुना गया था।

वो मानते थे कि अंग्रेजों से आजादी पाने के लिये अहिंसा आंदोलन काफी नहीं है इसलिये देश की आजादी के लिये हिंसक आंदोलन को चुना। नेताजी भारत से दूर जर्मनी और उसके बाद जापान गये जहाँ उन्होंने अपनी भारतीय राष्ट्रीय सेना बनायी, ‘आजाद हिन्द फौज’।5 जुलाई 1943 को 'आजाद हिन्द फौज' का विधिवत गठन हुआ। ब्रिटिश शासन से बहादुरी से लड़ने के लिये अपनी आजाद हिन्द फौज में उन देशों के भारतीय रहवासियों और भारतीय युद्ध बंदियों को उन्होंने शामिल किया।



12 सितंबर 1944 को रंगून के जुबली हॉल में शहीद यतीन्द्र दास के स्मृति दिवस पर नेताजी ने अत्यंत मार्मिक भाषण देते हुए कहा- 'अब हमारी आजादी निश्चित है, परंतु आजादी बलिदान मांगती है। आप मुझे खून दो, मैं आपको आजादी दूंगा।' यही देश के नौजवानों में प्राण फूंकने वाला वाक्य था, जो भारत ही नहीं विश्व के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है।

मृत्यु

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 1945 में एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। उनकी मृत्यु की बुरी खबर ने उनकी भारतीय राष्ट्रीय सेना की ब्रिटिश शासन से लड़ने की सभी आशाओं को समाप्त कर दिया था।

अपनी मृत्यु के बाद भी, वह अभी भी एक जीवंत प्रेरणा के रूप में भारतीय लोगों के दिल में अपने जीवंत राष्ट्रवाद के साथ जीवित है। विद्वानों के मत के अनुसार, जले हुए जापानी विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई। नेताजी के महान कार्यों और योगदानों को भारतीय इतिहास में एक अविस्मरणीय घटना के रूप में चिह्नित किया गया है।

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