Saturday, November 30, 2019

स्वच्छ भारत अभियान पर 10 लाइनें हिंदी में || Swachh Bharat Abhiyan essay or Speech in Hindi

स्वच्छ भारत अभियान
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने महात्मा गांधी जी की जयंती 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की , स्वच्छ भारत अभियान को भारत मिशन और स्वच्छता अभियान भी कहा जाता है । स्वच्छ और सुंदर भारत का सपना महात्मा गाँधी जी ने देखा था। उनके अनुसार स्वच्छता की जागरूकता की मशाल सभी में पैदा होने चाहिए इसके तहत स्कूलों में भी स्वच्छ भारत अभियान के कार्य होने लगे हैं स्वच्छता से ना केवल हमारा तन साफ रहता है । हमारा मन भी साथ रहता है। इसके अंतर्गत गली, मोहल्ले और शहर की सफाई करना आता है। स्वच्छता अभियान के तहत सड़को पर कूड़ा फेंकना मना है। साफ-सफाई को लेकर भारत की छवि को बदलने के लिए श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश को एक मुहिम से जोड़ने के लिए जन आंदोलन बनाकर इसकी शुरुआत की । स्वच्छता अभियान के तहत बहुत से शौचालय बनाए गए है।जगह जगह जाकर कैंप लगाकर लोगों को सफाई के प्रति जागरूक किया गया है। भारत को स्वच्छ, सुंदर और स्वस्थ बनाना हम सबका कर्तव्य है इसलिए हमें स्वच्छता अभियान से जुड़ना चाहिए। स्वच्छ भारत अभियान के निम्न कुछ महत्वपूर्ण उद्देश्य। भारत में खुले में मलत्याग की व्यवस्था का जड़ से उन्मूलन।

स्वच्छ भारत अभियान पर 10 लाइनें हिंदी में || Swachh Bharat Abhiyan essa...

छठ पूजा पर निबंध || Best Essay on "Chhath Puja" in Hindi || 10 Lines Essay on Chhathi

प्रस्तावना ‘छठ पूजा’ हिन्दुओं का प्रसिद्द त्यौहार है। यह त्यौहार हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छठी को मनाया जाता है। यह त्यौहार चार दिन तक चलता है। छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार एवं उत्तर प्रदेश तथा भारत के अन्य भागों में मनायी जाती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जानते हैं। यह त्यौहार पति की दीर्घायु और संतान सुख की कामना के लिए मनाया जाता है। इतिहास एक मान्यता के अनुसार छठ पूजा का पर्व महाभारत काल में कुंती द्वारा सूर्य देव की आराधना एवं पुत्र कर्ण के जन्म से माना जाता है। एक और कथा के मुताबिक जब लंका विजय के पश्चात रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को प्रभु राम और माता सीता ने व्रत रखा था और सूर्य देव की आराधना की थी। छठ पूजा पर्व विधि छठ पूजा के पहले दिन महिलाएँ चने की दाल, लोकी की सब्जी और रोटी आदि खाती है। दुसरे दिन वह रात को सिर्फ गुड़ की खीर खाती है जिसे खरना कहते हैं। तीसरे दिन यानि कि षष्ठी के दिन वह निर्जला व्रत रखती है और अपनी गुँजाईश के अनुसार 11, 21 या 51 फलों का प्रसाद बाँस के डालिया में बाँधकर अपने पति या बेटे को दे देती है और नदी की तरफ चल पड़ती है। जाते जाते रास्ते में महिलाएँ छठी माता के गीत गाती हैं। नदी पर पहुँचक पंडित से पूजा करवाकर शाम को कच्चे दुध से डुबते हुए सूर्य को अर्ध्य देती हैं। अगले दिन उदय होते हुए सूर्य को भी कच्चे दुध से अर्ध्य दिया जाता है और फिर वह अपना व्रत तोड़ती है। महत्त्व सुख समृद्धि के प्रतीक सूर्य देव की कृपा धरती के सभी जीव-जंतुओं पर बनी रहे

छठ पूजा पर निबंध || Best Essay on "Chhath Puja" in Hindi || 10 Lines Ess...

धनतेरस पर निबंध || Short Essay on Dhanteras Festival in Hindi

धनतेरस पर निबंध-Short Essay on Dhanteras Festival in Hindi प्रस्तावना धनतेरस शब्द ‘धन’ का ही एक स्वरुप है, जिसका अर्थ है धन और ‘तेरास’ जिसका अर्थ तेरहवे(13) इसलिए यह हिन्दूओं के कार्तिक माह (अक्टूबर-नवंबर) में कृष्ण पक्ष के तेरहवें दिन पर मनाया जाने वाला त्यौहार है। धनतेरस कब-क्यों मनाई जाती है? प्रचलित कथा के अनुसार इस दिन समुद्र मंथन से आयुर्वेद के जनक भगवान् धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। उन्होंने देवताओं को अमृतपान कराकर अमर कर दिया था। अतः वर्तमान सन्दर्भ में भी आयु और स्वस्थता की कामना हेतु धनतेरस पर भगवान् धन्वंतरि का पूजन किया जाता है। महत्त्व यह दिवाली से सिर्फ दो दिन पहले मनाया जाता है, जिसमें लोग समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भगवान् से प्रार्थना करते हैं। धनतेरस को ‘धनत्रियोदशी’ और ‘धन्वंतरी त्रियोंदशी’ भी कहते है।

धनतेरस पर निबंध || Short Essay on Dhanteras Festival in Hindi || Dhanter...

गोवर्धन पूजा निबंध

गोवर्धन पूजा निबंध 'गोवर्धन पूजा' हिंदुओं का प्रसिद्द त्यौहार है। यह सम्पूर्ण भारत में मनाया जाता है किन्तु उत्तर भारत में इसका विशेष महत्त्व है। यह पांच दिन के दीवाली त्यौहार के चौथे दिन एवं सामान्यतया दीवाली के अगले दिन पड़ता है। यह हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि को मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा कब-क्यों मनाई जाती है? गोवर्धन पूजा, भगवान् श्रीकृष्ण एवं गोवर्धन पर्वत की पूजा का दिन है। भगवान् श्रीकृष्ण ने इस दिन गोवर्धन पर्वत को उंगली के छोर पर उठाकर ग्रामवासिओं की रक्षा की थी जिस कारण इस त्यौहार को मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा का त्यौहार Annakut के रूप में मनाया जाता है। लोग ऐसे में गेहूं, चावल, बेसन और पत्तेदार सब्जियों की करी के रूप में अनाज का खाना बनाने के क्रम में हिंदू भगवान कृष्ण की पेशकश करने से गोवर्धन पूजा मनाते हैं। गोवर्धन पूजा का महत्व ऐसा माना जाता है कि ये उत्सव खुशी का उत्सव है और इस दिन जो दुखी रहेगा तो वो वर्ष भर दुखी ही रहेगा। इस दिन खुश रहने वाला व्यक्ति वर्ष भर खुश रहेगा। इसलिए इस गोवर्धन पूजा करना बहुत ही जरूरी है।

गोवर्धन पूजा निबंध || "Govardhan Puja" Essay in Hindi || Short Essay on ...

गुरुनानक देव जी पर निबंध

गुरुनानक देव जी पर निबंध(GURU NANAK JI)
भूमिका- गुरुनानक देव सिक्ख धर्म के प्रथम गुरु हैं। इन्होंने ग्रन्थ साहब की रचना की जो कि गुरुमुखी भाषा में है व भजन हिन्दी भाषा में है। 
जीवन परिचय- गुरुनानक जी का जन्म लाहौर (पाकिस्तान) से 35 मील दूर तलवण्डी नाम गाँव में सन् 1523 ई. को कार्तिक पूर्णिमा (15 अप्रैल) को हुआ था। इस गाँव का नाम अब ‘ननकाना साहब’ हो गया है। पिता का नाम मेहता कालूराम और माता का नाम तृप्ता था। पिता जी गांव के पटवारी थे। नानक की एक बहन भी थी जिसका नाम नानकी था। ईश्वर पर श्रद्धा- गुरुनानक देव जी बचपन से ही भक्ति में लीन थे। तथा भगवान की भक्ति करते रहते थे। वह हमेशा साधु सन्तों की संगति में रहते थे तथा प्रभु भजन करते रहते हैं। वह बहुत दयालु भी थे तथा हमेशा असहायों की सहायता करते थे। 
वैवाहिक जीवन- उन्नीस वर्ष की अवस्था में उनका विवाह बटाला के खत्री मूल चन्द की पुत्री सुलक्खनी से हुआ। उनके दो लड़के श्री चन्द और लक्ष्मी चन्द भी हुए। फिर भी उनका मन संसारिक मोह-पाशों में नहीं बन्धा। कहते हैं कि वेई नदी के किनारे उन्हें ज्ञान प्राप्ति मिली। 
समाज सुधारक- गुरू नानक देव जी एक समाज सुधारक थे। उन्होंने अपना सारा जीवन जाति भेदभाव और राग द्वेष को मिटाने में लगा दिया। वे सबको परमात्मा की सन्तान मानते थे। दूसरों की सेवा करना ही उनका आदर्श मन्त्र था। छुआछूत, अंधविश्वासों तथा पाखण्डों का उन्होंने खुलकर विरोध किया। 
अन्तिम समय - जीवन के अन्तिम समय में गुरू नानक देव वेई के किनारे करतारपुर में रहने लगे, जहाँ उन्होंने स्वयं खेती की तथा लोगों को कर्म करने की प्रेरणा दी। गुरू अंगद देव को उन्होंने गुरू गद्दी दी और 7 सितम्बर, 1539 में ज्योति-ज्योत समा गए।

गुरुनानक देव जी पर निबंध || Hindi Essay on “Guru Nanak Dev Ji”|| Best E...

'क्रिसमस'|| Simple & Short Essay on Christmas || Christmas Par Nibandh



प्रस्तावना


'क्रिसमस' ईसाइयों का प्रसिद्द त्यौहार है। यह 25 दिसंबर को प्रति वर्ष सम्पूर्ण विश्व में धूमधाम से मनाया जाता है। क्रिसमस का त्यौहार ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह ईसाइयों का सबसे बड़ा और खुशी का त्यौहार है। इसे 'बड़ा दिन' भी कहा जाता है।

क्रिसमस की तैयारी

ईसाईयों में क्रिसमस के उत्सव की शुरुआत चार हफ्ते पहले से ही होने लगती है और इसके 12वें दिन पर समाप्ति होती है। इसे पूरी दुनिया में एक धार्मिक और पारंपरिक पर्व के रुप में मनाया जाता है।




क्रिसमस के दिन गिरिजाघरों में विशेष प्रार्थनाएं होती हैं एवं जगह-जगह प्रभु ईसा मसीह की झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं। इस दिन घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस के त्यौहार में केक का विशेष महत्व है।इस दिन लोग एक-दूसरे को केक खिलाकर त्यौहार की बधाई देते हैं।



क्रिसमस पर बच्चों के लिए सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र होता है सांताक्लॉज, जो लाल और सफेद कपड़ों में बच्चों के लिए ढेर सारे उपहार और चॉकलेट्स लेकर आता है। यह एक काल्पनिक किरदार होता है जिसके प्रति बच्चों का लगाव होता है। ऐसा कहा जाता है कि सांताक्लाज स्वर्ग से आता है और लोगों को मनचाही चीजें उपहार के तौर पर देकर जाता है। यही कारण है कि कुछ लोग सांताक्लाज की वेशभूषा पहन कर बच्चों को भी खुश कर देते हैं।

क्रिसमस के विषय में कुछ तथ्य
एक पुस्तक के अनुसार क्रिसमस के पेड़ की शुरुआत सन 1570 में किया गया था।
क्रिसमस के पर्व के लिए प्रति वर्ष यूरोप (Europe) में 60 लाख पेड़ उगाये जाते हैं|
सांता क्लॉस की लोकप्रिय छवि को जर्मन मूल के अमेरिकी कार्टूनिस्ट थॉमस नस्ट (1840-1902) के द्वारा बनाया गया, जो हर साल एक नई छवि को बनाते थे
निष्कर्ष
क्रिसमस आनंद एवं खुशियों का त्यौहार है। इस अवसर पर ईसाई अपने मित्रों और निकट सम्बन्धियों को भोजन एवं पार्टी के लिए आमंत्रित करते है। यह लोगों को आपस में जोड़ता है। क्रिसमस एक पवित्र धार्मिक अवकाश और एक विश्वव्यापी सांस्कृतिक और वाणिज्य घटना दोनों है।

'क्रिसमस'|| Simple & Short Essay on Christmas in Hindi || Christmas Par ...

इंदिरा गांधी पर हिन्दी निबंध || भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री || Best Essay on Indira Gandhi in Hindi


प्रारंभिक जीवन
'इन्दिरा गांधी' का पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी था। उनका जन्म 19 नवंबर 1917 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में एक संपन्न परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जवाहरलाल नेहरु था जो स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। उनकी माता का नाम कमला नेहरू था। उनके दादा का नाम मोतीलाल नेहरु था।
शिक्षा

1934-35 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद इंदिरा ने शांतिनिकेतन में रवीन्द्रनाथ टैगोर के बनाए गए 'विश्व-भारती विश्वविद्यालय' में प्रवेश लिया।

इसके बाद 1937 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया। इस समय के दौरान इनकी अक्सर फिरोज़ गाँधी से मुलाकात होती थी, जिन्हे यह इलाहाबाद से जानती थीं और जो लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स में अध्ययन कर रहे थे।

वैवाहिक जीवन

16 मार्च 1942 को आनंद भवन, इलाहाबाद में एक निजी आदि धर्म ब्रह्म-वैदिक समारोह में इनका विवाह फिरोज़ से हुआ। राजीव तथा संजय उनके दो पुत्र थे ।


भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष

ऑक्सफोर्ड से वर्ष 1941 में भारत वापस आने के बाद वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल हो गयीं।

1959 और 1960 के दौरान इंदिरा चुनाव लड़ीं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं।

प्रथम महिला प्रधानमंत्री

11 जनवरी 1966 को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री की असामयिक मृत्यु के बाद 24 जनवरी 1966 को श्रीमती इंदिरा गांधी भारत की तीसरी और प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनीं। इसके बाद तो वह लगातार तीन बार 1967-1977 और फिर चौथी बार 1980-84 देश की प्रधानमंत्री बनीं।

इंदिरा गांधी ने 1971 के युद्ध में विश्व शक्तियों के सामने न झुकने के नीतिगत और समयानुकूल निर्णय क्षमता से पाकिस्तान को परास्त किया और बांग्लादेश को मुक्ति दिलाकर स्वतंत्र भारत को एक नया गौरवपूर्ण क्षण दिलवाया।
अन्तिम समय
पंजाब में आतंकवाद समाप्त करने हेतु उनके ‘ ब्लू स्टार ‘ कार्यवाही से क्षुब्ध उनके ही दो सुरक्षाकर्मियों बेअंत सिंह व सतवंत सिंह ने 31 अक्टूबर 1984 ई॰ को उन्हें गोलियों से भून दिया ।

इन्दिरा गांधी एक ऐसी महिला थीं, जो न केवल भारतीय राजनीति पर छाई रहीं बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी वह विलक्षण प्रभाव छोड़ गईं। उन्हें लौह महिला के नाम से भी संबोधित किया जाता है। अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए 'विश्वराजनीति' के इतिहास में इन्दिरा गांधी का नाम सदैव याद रखा जायेगा।

इंदिरा गांधी पर हिन्दी निबंध || भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री || Best...

डॉ. राजेंद्र प्रसाद || भारत के पहले राष्ट्रपति || Essay on Dr. Rajendra Prasad

डॉ. राजेंद्र प्रसाद

 भारत के पहले राष्ट्रपति








डॉ. राजेन्द्र प्रसाद पर हिन्दी निबंध || भारत के पहले राष्ट्रपति|| Best E...

अटल बिहारी वाजपेयी पर निबन्ध || Essay on Atal Bihari Vajpayee in Hindi |...

अटल बिहारी वाजपेयी पर निबन्ध

अटलजी देश के सफल प्रधानमन्त्रियों में से एक थे । अटलजी मात्र राजनेता ही नहीं अपितु सर्वमान्य व्यक्ति एवं साहित्यकार भी हैं। उनका चिरप्रसन्न एवं मुक्त स्वभाव उनको महान बना देता है।

जन्म व शिक्षा:

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था । इनके पिता पण्डित कृष्णबिहारी वाजपेयी एक स्कूल शिक्षक थे और दादा पण्डित श्यामलाल वाजपेयी संस्कृत के जाने-माने विद्वान् थे । वाजपेयीजी की प्रारम्भिक शिक्षा भिंड तथा ग्वालियर में हुई ।

विक्टोरिया कॉलेज (वर्तमान महारानी लक्ष्मीबाई कला एवं वाणिज्य विश्वविद्यालय) से स्नातक की उपाधि ग्रहण की । राजनीति शास्त्र में एम०ए० करने हेतु ये डी०ए०वी० कॉलेज कानपुर चले आये । कानून की पढ़ाई करते-करते अधूरी छोड़कर राजनीति में सक्रिय हो गये ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक :


राष्ट्रीय स्वयंसेवक के रूप में लखनऊ में इन्होंने राष्ट्रधर्म एवं पांचजन्य नामक पत्रिका का सम्पादन किया । इसी तरह वाराणसी से प्रकाशित वीर चेतना साप्ताहिक, लखनऊ से प्रकाशित दैनिक स्वदेश और दिल्ली से प्रकाशित वीर अर्जुन का भी सम्पादन किया ।

राजनीतिक जीवन:

 6अप्रैल 1980 ई० में उनको भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर आसीन किया गया। 

19 अप्रैल 1998 को भारत के राष्ट्रपति के०आर० नारायणन ने इन्हें प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलायी । ये 21 मई 2004 तक भारत के प्रधानमन्त्री रहे ।

उपसंहार:

सन् 1992 में पद्मविभूषणतथा 1994 में श्रेष्ठ सांसद के रूप में पण्डित गोविन्द वल्लभ पन्त और लोकमान्य तिलक पुरस्कारों से इन्हें सम्मानित किया गया ।


नरेंद्र मोदी के प्रशासन ने 2014 में घोषणा की कि वाजपेयी के जन्मदिन, 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के रूप में चिह्नित किया जाएगा। उम्र से संबंधित बीमारी के कारण 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया