Thursday, December 12, 2019

मदन मोहन मालवीय पर निबंध || Essay on Madan Mohan Malviya in Hindi || माल...






मदन मोहन मालवीय पर निबंध


बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और मालवीयजी के बिना आधुनिक भारत की कल्पना करना भी कठिन है । मालवीयजी ने लगभग तीन दशक तक इसके कुलपति का पदभार सँभाला और इसकी वैचारिक नींव को सुदृढ़ किया । रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इन्हें सबसे पहले महामना के नाम से पुकारा , बाद में महात्मा गाँधी ने भी इन्हें ‘महामना-अ मैन ऑफ लार्ज हार्ट’ कहकर सम्मानित किया ।
जन्म एवं शिक्षा-दीक्षा:

'मदन मोहन मालवीय' का जन्म 25 दिसंबर 1861 को इलाहाबाद में हुआ था। उनके दादा पं. प्रेमधर और पिता पं. बैजनाथ संस्कृत के अच्छे विद्वान थे। उन्होंने 1884 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक किया। उन्होंने कानून की पढ़ाई की और 1891 में एल.एल.बी. की परीक्षा उत्तीर्ण की।
महान् कार्य एवं राष्ट्रभक्ति:

देश सेवा एवं समाज सेवा की भावना ने उन्हें हिन्दुस्तान के सम्पादन हेतु प्रेरित किया । हिन्दुस्तान में अपने ओजपूर्ण क्रान्तिकारी लेखों से जनता में जागृति पैदा की । मालवीयजी ने इलाहाबाद से इण्डियन ओपिनियन पत्रिका का तथा अभ्युदय का सम्पादन भी किया ।

मालवीयजी देशभक्त, मानव भक्त और समाजसुधारक थे । वे गरीब विद्यार्थियों की फीस अदा कर दिया करते थे, वे कहा करते थे -देशभक्ति व्यक्ति का कर्तव्य नहीं, धर्म है । मालवीयजी देश की संस्कृति के रक्षक थे । 12 नवंबर 1946 को 85 वर्ष की आयु में मदन मोहन मालवीय का देहांत हो गया।

मालवीयजी को सम्मानित करने के उद्देश्य से हाल ही में भारत सरकार ने 25 दिसम्बर, 2014 को उनके 153वे जन्मदिन पर भारत रत्न से नवाजा है । उन्हें उनकी सौम्यता और विनम्रता के लिए सदैव जाना जाता रहेगा।

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