अक्षय तृतीया
हिन्दू धर्म के अनुसार अक्षय तृतीया त्यौहार का विशेष महत्व है , अक्षय तृतीया या आखा तीज वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है, किंतु वैशाख माह की तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है।
इस दिन नए कार्य शुरू करने के लिए शुभ माना जाता है. और कुछ लोग इस दिन अक्षय तृतीया पर सोने खरीदने के लिए भी शुभ माना जाता है। जिस कारण से अक्षय तृतीया के दिन सोने की खरीदारी बढ़ जाती है, जो की समृद्धि का प्रतिक माना जाता है। अक्षय तृतीया की तिथि बहुत शुभ मानी जाती है, इस तिथि को बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य जैसे- विवाह, गृह प्रवेश, वस्त्र-आभूषण खरीदना, वाहन एवं घर आदि खरीदा जा सकता है। अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा किया जाता है, इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी को चावल चढ़ाना, तुलसी के पत्तो में भोजन के भोग लगाना और विधिवत पूजा पाठ करने का विधान है, फिर इस दिन दान देने की भी परंपरा है जिससे सुख समृधि की कामना किया जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने से तथा भगवत पूजन से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यहाँ तक कि इस दिन किया गया जप, तप, हवन, स्वाध्याय और दान भी अक्षय हो जाता है।
महत्व
पौराणिक कथाओं और प्राचीन इतिहास के अनुसार, अक्षय तृतीया दिन कई महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाता है-
भगवान गणेश और वेद व्यास ने महाकाव्य महाभारत को इस दिन लिखा था।
इस दिन को भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है |
कहते है- इस दिन, देवी अन्नपूर्णा का जन्म हुआ।
इस दिन, भगवान कृष्ण ने अपने गरीब दोस्त सुदामा को धन और मौद्रिक लाभ प्रदान किया था ।
महाभारत के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण ने अपने निर्वासन के दौरान पांडवों को ‘अक्षय पात्र दिया था । उन्होंने इस कटोरे के साथ आशीष दिया था कि यह पात्र हमेशा असीमित मात्रा में भोजन से भरा रहेगा तथा कोई भी कभी भूखा नहीं रहेगा।
अक्षय तृतीया के दिन, गंगा नदी पृथ्वी पर स्वर्ग से उतरी थी ।
इस दिन कुबेरा ने देवी लक्ष्मी जी की उपासना की थी, और इस तरह उन्हें भगवान के खजांची होने का काम सौंपा गया।
जैन धर्म में, इस दिन भगवान आदिनाथ, जैनों के पहले भगवान की स्मृति में मनाया जाता है।
धार्मिक क्रिया
भगवान विष्णु के भक्त, अक्षय तृतीया के दिन देवता की पूजा करते है और उपवास रखते हैं। बाद में, चावल, नमक, घी, सब्जियां, फलों और कपड़े गरीबों को वितरित करके दान किया करते है। तुलसी का पानी भगवान विष्णु के प्रतीक के रूप में चारों ओर छिड़का जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन, कई लोग सोना और सोने से बने आभूषण भी खरीदते हैं। जैसा कि कहा जाता है कि सोना अच्छे भाग्य और धन का प्रतीक होता है , सोना खरीदना इस दिन पवित्र माना जाता है।
लोग इस दिन नया व्यापार उद्यम, निर्माण कार्य आदि शुरू करते है।
अन्य अनुष्ठानों की तरह इस दिन लोग गंगा में एक पवित्र स्नान भी करते है , जौ को एक पवित्र आग में भेंट करते है, तथा प्रसाद बनाया जाता है और दान किया जाता है।
भविष्य में अच्छा भाग्य सुनिश्चित करने के लिए आध्यात्मिक गतिविधियों जैसे ध्यान और पवित्र मंत्र का जप करना महत्वपूर्ण माना जाता है।
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