2020 महावीर जयंती पर निबंध Essay on Mahavir Jayanti in Hindi
महावीर जयंती का उत्सव खासकर भारत में जैन धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है। अन्य सभी धर्मों के लोग भी इस दिन को भारत में मनाते हैं। महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। वो जैन धर्म के प्रवर्तक थे और जैन धर्म के मूल सिधान्तों की स्थापना में उनका अहम योगदान है। उनका जन्म शुक्लपक्ष, चैत्र महीने के 13वें दिन 540 ईसीबी में कुंडलगामा, वैशाली जिला, बिहार में हुआ था। इसलिए प्रतिवर्ष महावीर जयंती के उत्सव को अप्रैल के महीने में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।
भगवान महावीर का वास्तविक नाम वर्धमान है इनके पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशाला थी इनके जन्म के समय में यह कहा गया था की या तो ये महान शासक बनेगे या फिर कोई महान तीर्थकर. फिर आयु बढ़ने के साथ महावीर का मन कभी भी सांसारिक कार्यो में नही लगता था और फिर 30 वर्ष की आयु में घर- द्वार राजपाठ का सारा कार्य छोड़कर सत्य की खोज में सांसारिक जीवन को त्याग करके सन्यासी हो गये
फिर भगवान महावीर ने सन्यास की दीक्षा लेने के बाद 12 वर्षो तक कठोर तप किया फिर उन्हें सत्य के ज्ञान की प्राप्ति हुई फिर यही से वर्धमान महावीर कहलाने लगे
इसके बाद भगवान महावीर ने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अपने अनुयायियो के साथ मिलकर समाज कल्याण के कार्यो में जुट गये और फिर 72 वर्ष की आयु में निर्वाण को प्राप्त हुए
महावीर जयन्ती का पर्व बड़ी धूमधाम और उल्लास से मनाया जाता है । पर्व के कई दिनों पहले से ही पूजा-पाठ की तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं । श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों प्रकार के जैन मंदिरों को खूब सजाया जाता है किन्तु सादगी (Simplicity) और पवित्रता (Purity) का ध्यान रखा जाता है । इस पर्व से हमें हर वर्ष यह प्रेरणा (Inspiration) देने का प्रयत्न किया जाता है कि हमें अपने जीवन में झूठ, कपट, लोभ-लालच और दिखावे से दूर रखना चाहिए तथा सच्चा, शुद्ध और परोपकारी जीवन जीना चाहिए त भी अपना और इस संसार का कल्याण संभव है ।
यह दिन जैन धर्म के लिए बहुत ही मायने रखता है। यह दिन राजपत्रित अवकाश के रूप में पूरे भारत में माना जाता है और लगभग सभी सरकारी दफ्तरों तथा शैक्षिक संसथानों में छुट्टी होता है।
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