राम मनोहर लोहिया एक स्वतंत्रता सेनानी, प्रखर समाजवादी और सम्मानित राजनीतिज्ञ थे । राम मनोहर ने हमेशा सत्य का अनुकरण किया और आजादी की लड़ाई में अद्भुत काम किया ।
प्रारंभिक जीवन
डॉ० लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को उत्तरप्रदेश के अकबरपुर नामक गांव में हुआ था । उनके पिता श्री हीरालाल लोहिया और माता चन्दादेवी थीं ।
1925 में मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की । काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से इंटर पास किया ।
उसके बाद उन्होंने वर्ष 1929 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और पीएच.डी. करने के लिए बर्लिन विश्वविद्यालय, जर्मनी, चले गए, जहाँ से उन्होंने वर्ष 1932 में इसे पूरा किया। यहां ”इकानॉमिक्स ऑफ साल्ट” विषय पर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की ।
उनके कार्य:
भारत वापस आने पर वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और वर्ष 1934 में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की आधारशिला रखी । वर्ष 1936 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का पहला सचिव नियुक्त किया ।
24 मई, 1939 को लोहिया को उत्तेजक बयान देने और देशवासियों से सरकारी संस्थाओं का बहिष्कार करने के लिए लिए पहली बार गिरफ्तार किया गया । जून 1940 में उन्हें “सत्याग्रह नाउ” नामक लेख लिखने के आरोप में पुनः गिरफ्तार किया गया और दो वर्षों के लिए कारावास भेज दिया गया । भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वर्ष 1942 में महात्मा गांधी, नेहरू, मौलाना आजाद और वल्लभभाई पटेल जैसे कई शीर्ष नेताओं के साथ उन्हें भी कैद कर लिया गया था । स्वतन्त्रता मिलने के बाद वे 1966 तक संसद में विपक्ष के सदस्य रहे, जहां एक मजबूत विपक्ष की उन्होंने प्रभावी भूमिका का निर्वहन किया ।
निधन
राम मनोहर लोहिया का निधन 57 साल की उम्र में 12 अक्टूबर, 1967 को नई दिल्ली में हुआ था ।
डॉ० लोहिया देश सेवा में किये गये अपने कार्यों के कारण हमारे बीच लोकनायक की उज्जल छवि के साथ हमेशा जीवित रहेंगे ।
No comments:
Post a Comment