Monday, March 30, 2020

बैसाखी त्यौहार पर निबंध || Simple & Short Essay on Baisakhi Festival in ...







बैसाखी
त्यौहार पर निबंध
Essay on Baisakhi Festival in Hindi [Punjabi
New Year ]



प्रस्तावना

बैसाखी सिखों का प्रसिद्द त्यौहार है। बैसाखी को ‘वैसाखी’ के नाम से भी जाना जाता है। बैसाखी प्रायः प्रति वर्ष 13 अप्रैल को मनायी जाती है किन्तु कभी-कभी यह 14 अप्रैल को पड़ती है। यह सम्पूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है किन्तु पंजाब एवं हरियाणा में इसका विशेष महत्त्व है। यह त्यौहार सिख लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इस दिन को वो अपने नए साल के पहले दिन के रूप में मानते हैं



बैसाखी त्यौहार का महत्व

बैसाखी त्यौहार इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन अंतिम सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिखों को खालसा के रूप में संगठित किया और खालसा पन्त की स्थापना हुई थी, । । यह त्यौहार सभी धर्मों एवं जातियों के द्वारा मनाया जाता है। बैसाखी मुख्यतः कृषि पर्व है। यह त्यौहार फसल कटाई के आगमन के रूप में मनाया जाता है।



इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है और इसे कई कारणों की वजह से मनाया जाता है। यहां इस दिन के विशेष कारणों पर एक नजर है:
इस दिन को गुरु तेग बहादुर के उत्पीड़न और मौत के बाद सिख आदेश की शुरुआत के रूप में देखा गया जिन्होंने मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश के अनुसार इस्लाम को कबूलने से इनकार कर दिया। इससे दसवें सिख गुरु के राज्याभिषेक और खालसा पंथ का गठन हुआ। यह दोनों घटनाएँ बैसाखी दिवस पर हुई। यह दिन हर वर्ष खालसा पंथ के गठन की याद में मनाया जाता है।
सिख भी इसे फसल काटने के उत्सव के रूप में मनाते हैं।
यह सिख समुदाय से संबंधित लोगों के लिए भी नए साल का पहला दिन है।
यह एक प्राचीन हिंदू त्योहार है जो सौर नव वर्ष को चिह्नित करता है। हिंदु इस दिन वसंत की फसल का भी जश्न मनाते हैं।



बैसाखी का उत्सव


बैसाखी त्यौहार के दिन सिख लोग अपने अपने पास के गुरुद्वारों में जाते हैं। वहां वो लोग मत्था टेकते हैं और फूल चढ़ाते हैं। इस दिन सिख लोग अपने परिवार जनों के साथ नाचते हैं, स्वादिष्ट खाना खाते हैं । इस दिन वे सभी रंगीन कपडे पहनते हैं और भंगड़ा नृत्य करते हैं जो देखने में बहुत ही अच्छा होता है। पारंपरिक रूप से कई जगह मेला भी लगाये जाते हैं जिसे “बैसाखी मेला” कहा जाता है। वहां बच्चों के लिए सुन्दर खिलौने, स्वादिस्ट मिठाई, और चटपटे खाना भी मिलता है। इन मेलों में सभी लोग अपने परिवार के लोगों के साथ घूमने जाते हैं ।

गुरुद्वारों को इस दिन पूरी तरह से रोशनी और फूलों से सजाया जाता है और इस शुभ दिन को मनाने के लिए कीर्तनों का आयोजन किया जाता है

निष्कर्ष

इस त्यौहार का मूल उद्देश्य है प्रार्थना करना, एकजुट रहना और अच्छे भोजन का आनंद लेना आदि। इस दिन लोगों में बहुत खुशी और उत्तेजना होती है।

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