Saturday, December 28, 2019

लाल बहादुर शास्त्री पर हिन्दी में निबंध || Simple & Short Essay on Lal B...





लाल बहादुर शास्त्री पर हिन्दी में निबंध || Essay on Lal
Bahadur Shastri in Hindi


प्रस्तावना:

भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री श्री लालबहादुर शास्त्री महान् राजनेता थे, जिनके लिए पद नहीं, बल्कि देश का हित सर्वोपरि था । 27 मई, 1964 को प्रथम प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद देश का साहस एवं निर्भीकता के साथ नेतृत्व करने वाले नेता की जरूरत थी । इस तरह 9 जून, 1984 को लालबहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमन्त्री बनाए गए ।

जीवन एक कठोर साधना है और राष्ट्रभक्ति एक कठिन संकल्प । भारत के महान् सपूत लालबहादुर शास्त्री एक ऐसे ही महान् पुरुष थे, जो इस साधना और संकल्प में खरे उतरे । 

जीवन परिचय:

लालबहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के बनारस जिले में स्थित मुगलसराय नामक गाँव में हुआ था । उनके पिता श्री शारदा प्रसाद एक शिक्षक थे, पिता की आकस्मिक मृत्यु हो जाने पर उनकी माँ रामदुलारी देवी उनको लेकर अपने मायके मिर्जापुर चली गईं । शास्त्री जी की प्रारम्भिक शिक्षा उनके नाना के घर पर ही हुई । हाईस्कूल की परीक्षा हरिशचन्द्र रकूल वाराणसी से पूर्ण की ।

मां रामदुलारी ने लालबहादुर में स्वाभिमान की भावना ऐसी कूट-कूटकर भरी थी कि एक बार 12 वर्ष की अवस्था में अपने साथियों के साथ गंगा पार मेला देखने गये लालबहादुर जब लौटने लगे, तो उनके पास पैसे नहीं थे ।
उनके कार्य:

1921 में गांधीजी के साथ असहयोग आन्दोलन में शामिल हो गये । काशी विद्यापीठ से बी०ए० की उपाधि प्राप्त करने के बाद अपने नाम के आगे बी०ए० न जोड़कर शास्त्री जोड लिया, ताकि इससे भारतीयता की पहचान हो फिर वे लोकसेवक संघ के आजीवन सदस्य बन गये । इस कार्य से इलाहाबाद आ गये । इलाहाबाद में वे कांग्रेस कमेटी के महासचिव तथा 1930-36 तक अध्यक्ष रहे । उनके संगठन व कार्यक्षमता ने उन्हें बड़े-बड़े नेताओं की श्रेणी में ला खडा किया । 1940 में शासन विरोधी गतिविधियों के कारण उन्हें जेल जाना पड़ा । इस बीच वे 8 बार जेल गये । 10 वर्षों तक उनके तथा उनके परिवार को घोर आर्थिक संकट झेलना पड़ा ।

शास्त्रीजी की कर्तव्यनिष्ठा और योग्यता को देखते हुए 1951 में प्रधानमन्त्री नेहरू ने उन्हें कांग्रेस का महासचिव बनाया । भारतीय गणतन्त्र के लागू होने के बाद उन्हें रेल तथा परिवहन मन्त्री बनाया गया । उन्होंने छोटे-छोटे स्टेशनों का निर्माण करवाया । हजारों मील लम्बी रेल लाइनें बनवायीं । इंजन, मालगाड़ी तथा सवारी गाड़ियों के वर्कशाप बनवाये । तीसरी श्रेणी के यात्रियों को भी सुविधाएं मुहैया करवायीं ।

1952 में आरियालूर रेल दुर्घटना को अपनी नैतिक जिम्मेदारी मानते हुए उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया । 1956-57 में उन्हें संचार एवं परिवहन मन्त्री का कार्य सौंपा गया । इसके बाद वे वाणिज्य और उद्योग विभाग के मन्त्री भी बनाये गये । इस पद पर रहते हुए उन्होंने विदेशी व्यापार और लघु उद्योग-धन्धों को बढ़ावा दिया । 26 जनवरी 1964 को उन्हें नेहरूजी की अस्वस्थता के कारण बिन विभाग का मन्त्री बनाया गया ।

1962 के चीनी आक्रमण से आहत नेहरूजी का देहावसान 26 मई 1964 को हो गया । नेहरूजी की मृत्यु के बाद लालबहादुरजी को सर्वसम्मति से प्रधानमन्त्री चुना गया । अपने शासनकाल में उन्होंने नेपाल की सदभावना यात्रा की । बंगाल और असम का भाषा विवाद, कश्मीर में हजरत बल दरगाह के विवाद सुलझाये ।

पाकिस्तान को 1965 के युद्ध में कड़ी मात देने के बाद वे रूस की मध्यस्थता पर सन्धि वार्ता करने जनवरी 1965 को ताशकंद गये । वहां पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने कोसीजीन की मध्यस्थता में युद्ध सैनिकों और जीती जमीन लौटाने का शान्तिपूर्ण समझौता किया । 11 जनवरी 1966 को स्लो पॉइजन से उनकी आकस्मिक मृत्यु हो गयी । उनका दिया हुआ एक और नारा 'जय जवान-जय किसान' तो आज भी लोगों की जुबान पर है।

Tuesday, December 24, 2019

सुकन्याय समृद्धि योजना || Sukanya Samriddhi Yojana (SSY) in Hindi








सुकन्‍या समृद्धि योजना || SUKANYA SAMRIDDHI YOJANA IN HINDI


लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना की शुरुआत की है।

सुकन्या समृद्धि योजना का उद्देश्य बेटियों की पढ़ाई और उनकी शादी पर आने वाले खर्च को आसानी से पूरा करना है।
सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) बेटियों के लिए छोटी बचत योजना है. SSY को केंद्र सरकार की 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' स्कीम के तहत लांच किया गया है. SSY में निवेश पर इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट भी मिलती है. SSY के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये जमा कराये जा सकते हैं.

यह है योजना:

* सुकन्या समृद्धि योजना अकाउंट में बेटी के नाम से एक साल में 1 हजार से लेकर 1 लाख पचास हजार रुपए जमा कर सकता है।

* यह पैसा अकाउंट खुलने के 14 साल तक ही जमा करवाना होगा और यह खाता बेटी के 21 साल की होने पर ही मैच्योर होगा।

* योजना के नियमों के अंतर्गत बेटी के 18 साल के होने पर आधा पैसा निकलवा सकते हैं।

21 साल के बाद खाता बंद हो जाएगा और पैसा पालक को मिल जाएगा।

* अगर बेटी की 18 से 21 साल के बीच शादी हो जाती है तो अकांउट उसी वक्त बंद हो जाएगा।

* अकाउंट में अगर पेमेंट लेट हुई तो सिर्फ 50 रुपए की पैनल्टी लगाई जाएगी।

* पोस्ट ऑफिस के अलावा कई सरकारी व निजी बैंक भी इस योजना के तहत खाता खोल रही हैं।

* सुकन्या समृद्धि योजना के तहत खातों पर आयकर कानून की धारा 80-जी के तहत छूट दी जाएगी।

* पालक अपनी दो बेटियों के लिए दो अकाउंट भी खोल सकते हैं।

* जुड़वां होने पर उसका प्रूफ देकर ही पालक तीसरा खाता खोल सकेंगे। पालक खाते को कहीं भी ट्रांसफर करा सकेंगे।

योजना के अंतर्गत 2015 में कोई व्यक्ति 1,000 रुपए महीने से अकाउंट खोलता है तो उसे 14 साल तक यानी 2028 तक हर साल 12 हजार रुपए डालने होंगे। मौजूदा हिसाब से उसे हर साल 8.6 फीसदी ब्याज मिलता रहेगा तो जब बच्ची 21 साल की होगी तो उसे 6,07,128 रुपए मिलेंगे। गौर करने वाली बात यह है कि 14 सालों में पालक ने अकाउंट में कुल 1.68 लाख रुपए ही जमा करने पड़े। बाकी के 4,39,128 रुपए ब्याज के हैं।

योजना के लिए आवश्यक दस्तावेज:

* बच्ची का जन्म प्रमाणपत्र

* एड्रेस प्रूफ

* आईडी प्रुफ

पात्रता

1. प्राकृतिक या कानूनी अभिभावक द्वारा बालिका शिशु के जन्म से 10 वर्ष की आयु प्राप्‍त करने तक बालिका शिशु के नाम पर खाता खोला जा सकता है।

2. जमाकर्ता योजना नियमावली के अंतर्गत बालिका शिशु के नाम पर केवल एक खाता खोल सकता और संचालित कर सकता है।

3. बालिका शिशु के प्राकृतिक या कानूनी अभिभावक को केवल दो बालिका शिशुओं के लिए खाता खोलने की अनुमति दी जा सकती है। बालिका शिशु के नाम पर तीसरा खाता दूसरे जन्म के रूप में जुड़वां बालिकाओं का जन्‍म होने या यदि पहले जन्म में ही तीन बालिकाओं का जन्‍म होने पर खोला जा सकता है।

विशेषताएं

1. 8.5% की आकर्षक ब्याज दर। ब्याज दर वित्त मंत्रालय द्वारा समय-समय पर विनियमित है।

2. एक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम रु. 1,000 का निवेश किया जा सकता है।

3. एक वित्तीय वर्ष में रु. 1, 50,000 रुपए का अधिकतम निवेश किया जा सकता है।

4. खाता खोलने की तिथि से 14 वर्ष पूरे होने तक खाते में पैसे जमा किए किए जा सकते हैं।

5. खाता खोलने की तिथि से 21 वर्ष पूरे होने पर खाता परिपक्व होगा, शर्त यह है कि यदि खाताधारक का विवाह यह 21 वर्ष की अवधि पूरी होने से पहले हो जाए तो उसके विवाह के दिनांक से आगे खाते के संचालन की अनुमति नहीं दी जाएगी।

लाभ

1. कर छूट
सुकन्‍या समृद्धि योजना योजना में निवेश को धारा 80सी के अंतर्गत आय कर से छूट मिलती है। यह योजना के अंतर्गत तिहरे कर छूट शासन के अंतर्गत कर लाभ की पेशकश करती है। अर्थात् मूलधन, ब्याज और बहिर्वाह सभी को कर से छूट प्रदान की जाती है।


2. आहरण सुविधा
उच्च शिक्षा एवं विवाह के प्रयोजन हेतु खाताधारक की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, खाताधारक 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद आंशिक आहरण सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।

Saturday, December 14, 2019

सुशासन दिवस पर निबंध || Short & Simple Speech on Sushashan Diwas || Good...






सुशासन दिवस 


पूर्व प्रधानमंत्री, अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म दिवस 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा हर साल पूरे भारत में सुशासन दिवस के रुप में मनाये जाने की घोषणा की गयी थी। अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन को सुशासन दिवस के रुप में मनाना भारतीय लोगों के लिये बहुत सम्मान की बात है।
सुशासन (Good governance) अर्थ हैं एक ऐसा शासन जिसमे देश के लोग प्रसन्न हो, उनका विकास हो, देश के हर फैसले में उनकी हामी शामिल हो ऐसे शासन को ही सुशासन कहा जा सकता हैं

सुशासन दिवस की घोषणा "ई-गवर्नेंस के माध्यम से सुशासन” के आधार पर की गयी है। ये एक कार्यक्रम है जो सभी सरकारी अधिकारियों को बैठक और संचार के लिये आमंत्रित करके बाद में मुख्य समारोह में शामिल होकर मनाया जाता है। यहाँ एक दिन की लंबी प्रदर्शनी का आयोजन करके और सरकारी अधिकारियों को भाग लेने के साथ ही ई-गवर्नेंस और प्रदर्शनी के बारे में कुछ सुझाव देने के लिये आमंत्रित करके मनाया जाता है।


सुशासन दिवस कैसे मनाते हैं

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा सरकारी कार्यालयों, स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शिक्षण संस्थानों को विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करके सुशासन दिवस को मनाते है। स्कूलों और कॉलेजों के विद्यार्थी कई गतिविधियों में भाग लेते हैं जैसे: निबंध लेखन प्रतियोगिता, वाद-विवाद, समूह चर्चा, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, खेल आदि।

विद्यार्थीयों की सुगमता के लिए प्रतियोगिताओं की ऑनलाइन व्यवस्था भी की गयी है जैसे: ऑनलाइन निबंध लेखन, ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, आदि। ये घोषणा की गयी कि सुशासन दिवस के दो दिन (25-26 दिसम्बर) चलने वाले समारोह के दौरान सभी विद्यार्थी गतिविधियों में भाग ले सकते हैं। इस बात कि भी पुष्टि की गयी कि 25 दिसम्बर को ऑनलाइन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जायेगा तो विद्यालयों का खुलना आवश्यक नहीं है।
सुशासन दिवस मनाने के उद्देश्य

अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्मदिन सुशासन दिवस के रुप में बहुत से उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये घोषित किया गया:
1. सरकारी प्रक्रिया को व्यवहारिक बनाकर देश में एक "खुला और जवाबदेह प्रशासन" प्रदान करने के लिए।
2. सुशासन दिवस देश में एक पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन मुहैया कराने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के बारे में लोगों को जागरूक बनाने के लिए मनाया जाता है।
3. यह भारत में आम नागरिकों के कल्याण और भलाई को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
4. सरकार के कामकाज के मानकीकरण के साथ-साथ यह भारतीय लोगों के लिए एक अत्यधिक प्रभावी और जवाबदेह शासन के लिए मनाया जाता है।
5. यह भारत में सुशासन के एक मिशन को पूरा करने के लिए अच्छी और प्रभावी नीतियों को लागू करने के लिए मनाया जाता है।
6. यह सरकारी अधिकारियों को आंतरिक प्रक्रियाओं और उनके काम के लिये प्रतिबद्ध करने के लिये मनाया जाता है।
7. सुशासन के माध्यम से देश में वृद्धि और विकास को बढ़ाने के लिए।
8. नागरिकों को सरकार के करीब लाकर सुशासन की प्रक्रिया में उन्हें सक्रिय भागीदार बनाने के लिए।

Thursday, December 12, 2019

मदन मोहन मालवीय पर निबंध || Essay on Madan Mohan Malviya in Hindi || माल...






मदन मोहन मालवीय पर निबंध


बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और मालवीयजी के बिना आधुनिक भारत की कल्पना करना भी कठिन है । मालवीयजी ने लगभग तीन दशक तक इसके कुलपति का पदभार सँभाला और इसकी वैचारिक नींव को सुदृढ़ किया । रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इन्हें सबसे पहले महामना के नाम से पुकारा , बाद में महात्मा गाँधी ने भी इन्हें ‘महामना-अ मैन ऑफ लार्ज हार्ट’ कहकर सम्मानित किया ।
जन्म एवं शिक्षा-दीक्षा:

'मदन मोहन मालवीय' का जन्म 25 दिसंबर 1861 को इलाहाबाद में हुआ था। उनके दादा पं. प्रेमधर और पिता पं. बैजनाथ संस्कृत के अच्छे विद्वान थे। उन्होंने 1884 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक किया। उन्होंने कानून की पढ़ाई की और 1891 में एल.एल.बी. की परीक्षा उत्तीर्ण की।
महान् कार्य एवं राष्ट्रभक्ति:

देश सेवा एवं समाज सेवा की भावना ने उन्हें हिन्दुस्तान के सम्पादन हेतु प्रेरित किया । हिन्दुस्तान में अपने ओजपूर्ण क्रान्तिकारी लेखों से जनता में जागृति पैदा की । मालवीयजी ने इलाहाबाद से इण्डियन ओपिनियन पत्रिका का तथा अभ्युदय का सम्पादन भी किया ।

मालवीयजी देशभक्त, मानव भक्त और समाजसुधारक थे । वे गरीब विद्यार्थियों की फीस अदा कर दिया करते थे, वे कहा करते थे -देशभक्ति व्यक्ति का कर्तव्य नहीं, धर्म है । मालवीयजी देश की संस्कृति के रक्षक थे । 12 नवंबर 1946 को 85 वर्ष की आयु में मदन मोहन मालवीय का देहांत हो गया।

मालवीयजी को सम्मानित करने के उद्देश्य से हाल ही में भारत सरकार ने 25 दिसम्बर, 2014 को उनके 153वे जन्मदिन पर भारत रत्न से नवाजा है । उन्हें उनकी सौम्यता और विनम्रता के लिए सदैव जाना जाता रहेगा।

Tuesday, December 10, 2019

करतारपुर कॉरिडोर की महत्वपूर्ण जानकारियां || 10 Lines on करतारपुर कॉरिडो...





कॉरिडोर की महत्वपूर्ण जानकारियां
करतारपुर कॉरिडोर पाकिस्तान और भारत के बीच का एक बॉर्डर कॉरिडोर है, जो डेरा बाबा नानक साहिब (पंजाब, भारत में स्थित) और गुरुद्वारा दरबार साहिब (पंजाब, पाकिस्तान में) के सिख मंदिरों को जोड़ता है।
भारत की ओर 3.80 किमी और पाकिस्तान की तरफ 4 किमी लंबा है करतारपुर कॉरिडोर
सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक ने 1504 ईस्वी में रावी नदी के किनारे पर करतारपुर की स्थापना की और वहां पहला सिख कम्यून स्थापित किया।
अप्रैल 2019 में, लैंड पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया और सीगल इंडिया लिमिटेड ने कॉरिडोर के भारतीय हिस्से पर निर्माण शुरू किया।
• करतारपुर कॉरिडोर पर इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के बीच में भारत की ओर 300 फुट ऊंचा तिरंगा झंडा लगा है, जो 5 किमी दूर तक दिखाई देगा।
• भारत की तरफ इसमें रोज लगभग 5,000 यात्रियों को आसानी से गुजरने के लिए सभी सार्वजनिक सुविधाएं दी जाएगी।
• तीर्थयात्रियों की यात्रा की सुविधा के लिए 54 अप्रवासी काउंटर होंगे।
• 10 बसों, 250 कारों और 250 दुपहिया वाहनों के लिए बड़ा पार्किंग स्थल बन रहा है।
• 9 नवंबर (2019) को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने को भारतीय पक्ष में करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन किया।

Saturday, December 7, 2019

चौधरी चरण सिंह पर निबंध || Short Essay on Charan Singh in Hindi|| Chaudha...








चौधरी चरण सिंह



चौधरी चरण सिंह (२३ दिसम्बर १९०२ - २९ मई १९८७) भारत के पांचवें प्रधानमन्त्री थे। उन्होंने यह पद २८ जुलाई १९७९ से १४ जनवरी १९८० तक सम्भाला। चौधरी चरण सिंह ने अपना सम्पूर्ण जीवन भारतीयता और ग्रामीण परिवेश की मर्यादा में जिया।

प्रारंभिक जीवन

श्री चरण सिंह का जन्म 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर में एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने 1923 में विज्ञान से स्नातक की एवं 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। कानून में प्रशिक्षित श्री सिंह ने गाजियाबाद से अपने पेशे की शुरुआत की। वे 1929 में मेरठ आ गये और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए।



राजनीतिक जीवन

कांग्रेस के लौहर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित हुआ था, जिससे प्रभावित होकर युवा चौधरी चरण सिंह राजनीति में सक्रिय हो गए। उन्होंने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया। 1930 में जब महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान किया तो उन्होंने हिंडन नदी पर नमक बनाकर उनका साथ दिया। जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा।

वो किसानों के नेता माने जाते रहे हैं। उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था। एक जुलाई 1952 को यूपी में उनके बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला। उन्होंने लेखापाल के पद का सृजन भी किया। किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया। वो 3 अप्रैल 1967 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। मध्यावधि चुनाव में उन्होंने अच्छी सफलता मिली और दुबारा 17 फ़रवरी 1970 के वे मुख्यमंत्री बने। उसके बाद वो केन्द्र सरकार में गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की। 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक [नाबार्ड] की स्थापना की।28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस (यू) के सहयोग से प्रधानमंत्री बने।

प्रधानमंत्री पद पर

जनता पार्टी में आपसी कलह के कारण मोरारजी देसाई की सरकार गिर गयी जिसके बाद कांग्रेस और सी. पी. आई. के समर्थन से चरण सिंह ने 28 जुलाई 1979 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने उन्हें बहुमत साबित करने के लिए 20 अगस्त तक का वक़्त दिया पर इंदिरा गाँधी ने 19 अगस्त को ही अपने समर्थन वापस ले लिया इस प्रकार संसद का एक बार भी सामना किए बिना चौधरी चरण सिंह ने प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया।

निजी जीवन

चरण सिंह का विवाह सन 1929 में गायत्री देवी के साथ हुआ। इन दोनों के पांच संताने हुईं। उनके पुत्र अजित सिंह अपनी पार्टी ‘राष्ट्रिय लोक दल’ के अध्यक्ष हैं।

लेखन

एक राजनेता के साथ चौधरी चरण सिंह एक कुशल लेखक भी थे और अंग्रेज़ी भाषा पर अच्छा अधिकार रखते थे। उन्होंने ‘अबॉलिशन ऑफ़ ज़मींदारी’, ‘लिजेण्ड प्रोपराइटरशिप’ और ‘इंडियास पॉवर्टी एण्ड इट्स सोल्यूशंस’ नामक पुस्तकों का लेखन भी किया।

चरण सिंह मृत्यु 

29 मई 1987 को इनका निधन हो गया | इनके पूर्वज राजा नाहर सिंह 1857 की क्रांति में भागीदारी थे | इस तरह देश प्रेम चरण सिंह के स्वभाव में व्याप्त था |

Thursday, December 5, 2019

आयुष्मान भारत योजना || 10 Lines on Ayushman Bharat Yojana in Hindi for s...





आयुष्मान भारत योजना 23 सितंबर 2018 को प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई थी।
इसका उद्देश्य ग्रामीण और शहरी 50 करोड़ गरीब भारतीयों को स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करना है।
इंदु भूषण डॉ दिनेश अरोड़ा आयुष्मान भारत योजना की मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

आयुष्मान भारत योजना के तहत प्रत्येक परिवार को प्रतिवर्ष इलाज के लिए 5 लाख रुपए तक का बीमा कवर मिलेगा।
देश में 1.5 लाख गांव में हेल्थ और वेलनेस सेंटर खुलेंगे।
योजना में रजिस्टर्ड किसी भी प्राइवेट या सरकारी अस्पताल में इलाज हो सकेगा।
आयुष्मान भारत योजना या प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, भारत सरकार की एक स्वास्थ्य योजना है, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर लोगों खासकर बीपीएल धारक को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है।
स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र में प्रदान की जाने वाली सेवाओं की सूची में शामिल हैं:
• गर्भावस्था देखभाल और मातृ स्वास्थ्य सेवाएं
• नवजात और शिशु स्वास्थ्य सेवाएं
• बाल स्वास्थ्य
• जीर्ण संक्रामक रोग
• गैर संक्रामक रोग
• मानसिक बीमारी का प्रबंधन
• दांतों की देखभाल
• बुजुर्ग के लिए आपातकालीन चिकित्सा
जिन लोगों के पास 28 फरवरी 2018 तक राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का कार्ड होगा, वे भी आयुष्मान भारत योजना का लाभ उठा सकते हैं।
सरकार द्वारा आयुष्मान भारत योजना के लिए एक हेल्पलाइन नंबर 14555 जारी किया गया है, जिस पर आप कभी भी कॉल कर सकते हैं। इस पर आपको समस्त जानकारियां मुहैय्या करवाई जाएंगी।

Wednesday, December 4, 2019

संजय गाँधी की जीवनी || Sanjay Gandhi Biography in hindi || Hindi Essay o...






संजय गांधी
संजय गांधी (१४ दिसम्बर १९४६ - २३ जून १९८०) भारत के एक राजनेता थे। वे भारत की प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के छोटे पुत्र थे। मेनका गांधी उनकी पत्नी हैं और वरुण गांधी उनके पुत्र। भारत में आपातकाल के समय उनकी भूमिका बहुत विवादास्पद रही। अल्पायु में ही एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी।

प्रारंभिक जीवन

संजय गाँधी का जन्म 14 दिसम्बर 1946 को दिल्ली में हुआ था | पहले वेल्हम बॉयज स्कूल और फिर ख्यातिप्राप्त देहरादून के दून स्कूल में उनका दाखिला कराया गया | परन्तु इंदिरा और फ़िरोज़ गाँधी के तमाम प्रयासों के बावजूद वह स्कूल की पढाई भी पूरी नहीं कर पाए |

निजी जीवन

संजय गांधी का विवाह अपने से 10 साल छोटी मेनका आनंद से अक्टूबर 1974 को नयी दिल्ली में हुआ था। उनका एक बेटा वरुण गांधी भी है, जो संजय गांधी की मृत्यु के कुछ समय पहले ही पैदा हुआ था। बाद में उन्होंने खुद की पार्टी संजय विचार मंच शुरू की। मेनका गांधी ने इसके बाद बहुत से अ-कांग्रेसीय दलों को सहायता की और कई सालो तक सरकार में बनी रही। वर्तमान में वह और उनका बेटा वरुण गांधी, बीजेपी के सदस्य है।
विवादित जीवन
संजय गाँधी का सम्पूर्ण जीवन विवादों से भरा रहा | उनका व्यक्तिगत जीवन से लेकर सार्वजनिक जीवन तक विवादों से अछूता नहीं रहा था |  बिना किसी पद और ओहदे के सरकारी कामों में दखल देना आदि से वे हमेशा विवादित व्यक्तित्व बने रहे | उनके साथ जुड़े कुछ विवाद निम्न हैं--

मारुती लिमिटेड विवाद:

1971 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कैबिनेट ने “लोगो की कार” बनाने का निर्णय कंपनी को दिया, जिसे भारत के मध्यम-वर्गीय लोग भी आसानी से खरदी सके। जून 1971 में मारुती मोटर्स लिमिटेड के नाम से जाने जानी वाली कंपनी की स्थापना कंपनी एक्ट के तहत की गयी और संजय गांधी ही उसके मैनेजिंग डायरेक्टर बने।

जबकि संजय गांधी को इससे पहले काम करने का कोई अनुभव भी नही था, वे बहुत से प्रस्ताव बनाते और कारपोरेशन को सौपते थे, उन्हें कार को बनाने का कॉन्ट्रैक्ट भी मिल चूका था और साथ ही ज्यादा मात्रा में कार के उत्पादन करने के लाइसेंस भी उन्हें जारी कर दिया गया था। लेकिन इस निर्णय का ज्यादातर लोगो ने विरोध भी किया लेकिन 1971 के बांग्लादेश लिबरेशन वॉर और पाकिस्तान पर जीत हासिल करने के बाद, यह निर्णय काफी हद तक सही साबित नही हुआ।

नसबंदी कार्यक्रम पर विवाद

आपातकाल के दौरान देश में लागू किए गए कठोर कानूनों में जो सबसे विवादित कानून रहा, वह था परिवार नियोजन कार्यक्रम को सख्ती से लागू करने के लिए चलाया गया नसबंदी का अभियान | देश की बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए संजय गाँधी ने इसे कड़ाई से लागू करने का आदेश जारी किया था |

माना जाता है कि उस दौरान लगभग 4 लाख लोगों की जबरन नसबंदी की गई थी | सरकार की इस जोर-जबरदस्ती से आम जनता में भारी असंतोष पैदा हुआ और देशभर में इस कार्यक्रम का विरोध शुरू हो गया |

‘किस्सा कुर्सी का’ विवाद

वर्ष 1975 में अमृत नाहटा द्वारा बनाई गई और निर्देशित फिल्म ‘किस्सा कुर्सी का’ इंदिरा और संजय गाँधी पर लक्षित था | इस फिल्म को अप्रैल 1975 में सेंसर बोर्ड के पास प्रमाणन के लिए भेजा गया था |

वर्ष 1977 में जनता पार्टी द्वारा आपातकाल के दौरान हुई ज्यादतियों की जांच के लिए गठित शाह आयोग ने इस फिल्म से जुड़े मुद्दे की भी जाँच की थी और फिल्म के मास्टर प्रिंट को जलाने में संजय गाँधी और उनके ख़ास तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री विद्या चरण शुक्ल को दोषी ठहराया था |

जामा मस्जिद का सुन्दरीकरण और झोपड़ियो का विनाश:

। कहा जाता है की जब संजय गांधी तुर्कमान गेट देखने के लिए दिल्ली गये थे तो उन्हें काफी गुस्सा आया था क्योकि झोपड़ियो की वजह से उन्हें पुरानी जामा मस्जिद नही दिखाई दे रही थी।

13 अप्रैल 1976 को उन्ही के आदेश पर दिल्ली विकास विभाग ने उन झोपड़ियो पर बुलडोज़र चला दिए और जो लोग इसका विरोध करने लगे उनपर पुलिस ने लाठीचार्ज भी कर दिया और गोलियाँ भी चलानी पड़ी था। इस भगदड़ में तक़रीबन 150 लोग मारे गये थे। इस घटना के बाद तक़रीबन 70,000 लोग बेघर हो गये थे। बेघर लोगो को बाद में यमुना नदी के किनारे नए अविकसित घरो में रहना पड़ा था।





इंदिरा गांधी ने विकास के लिए 20-पॉइंट आर्थिक कार्यक्रम की घोषणा की थी। संजय ने भी अपने खुद के पाँच पॉइंट के कार्यक्रम की घोषणा की थी :

• पारिवारिक योजना
• शिक्षा
• पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ
• दहेज़ प्रथा को ख़त्म करना
• जातिभेद को जड़ से समाप्त करना

लेकिन आनी-बानी के समय संजय के इस कार्यक्रम को ही इंदिरा गांधी के 20-पॉइंट के कार्यक्रम में शामिल कर के, कुल 25-पॉइंट का विकास प्लान बनाया गया था।

मृत्यु
उनके प्लेन के हवाँ में क्रेश होने की वजह से 23 जून 1980 को नयी दिल्ली के सफ़दरजंग एअरपोर्ट के पास उनकी मृत्यु हो गयी।

असल में देखा जाए तो विवादों से घिरे हुए होने के बावजूद संजय गांधी के लोकप्रिय राजनेता थे। पहले से ही उनमे भारतीय राजनीती और देश के लिए कुछ अलग करने की चाहत थी और परदे के पीछे से भी उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए की वाद-विवादों से जैसा उनका घरेलु रिश्ता सा बन गया था। लेकिन विवादों से घिरे रहने के बावजूद जनमानस में उनकी लोकप्रियता कम नही हुई। उन्होंने ने जो योजनाए दी थी उन्हें अगर सही तरीके से लागू किया जाता तो निश्चित रूप से देश का कायाकल्प हो जाता।

Tuesday, December 3, 2019

PM Kisan Yojana || प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना|| Pradhan Mantri...





प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना
PM Kisan Yojana के तहत किसानों के खाते में सालाना ₹6000 डाले जाएंगे ताकि किसान भाई अच्छे से खेती-बाड़ी कर सकें!!!
• यह 6000 रूपए किसानों को 3 चरण में मिलेंगें.!हर चरण में 2000 रूपए दिए जायेंगें!
• पैसा सीधा लाभार्थी के खाते में पहुँच जाएगा और SMS के माध्यम से पैसा आने की जानकारी भी मिल पाएगी

किसान सम्मान योजना : पात्रता
किन्हें मिलेगा लाभ?
• हाल ही में हुए एक बदलाब की वजह से अब इस योजना का लाभ देश के सभी किसानों को मिल सकेगा, बेशक उनके पास कितनी भी जमीन हो |ऐसा करने से अब योजना के कुल लाभार्थियों की संख्या 14.5 करोड़ हो गई है
किन्हें नहीं मिलेगा लाभ?
• संस्थागत भूमि धारक, संवैधानिक पद संभालने वाले किसान परिवार, राज्य / केंद्र सरकार के साथ-साथ पीएसयू और सरकारी स्वायत्त निकायों के सेवारत या सेवानिवृत्त अधिकारी और कर्मचारी योजना का लाभ नहीं ले पाएंगे
• डॉक्टर, इंजीनियर और वकील के साथ-साथ 10,000 रुपये से अधिक की मासिक पेंशन पाने वाले सेवानिवृत्त पेंशनभोगियों और अंतिम मूल्यांकन वर्ष में आयकर का भुगतान करने वाले पेशेवरों को भी योजना के दायरे से बाहर रखा गया है.
जरुरी कागजात
• किसान के पास भारत में रहने का स्थाई निवास प्रमाण पत्र होना चाहिए!
• इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास अपनी जमीन का पर्चा होना चाहिए ताकि उससे पता चल सके किसान के पास कितनी हेक्टेयर भूमि है!!
• किसान के पास अपनी पासबुक अकाउंट की कॉपी होनी चाहिए!!
http://www.pmkisan.gov.in/

Monday, December 2, 2019

भारतीय नौसेना दिवस || Short Essay or Speech on Indian Navy Day in Hindi ...





भारतीय
नौसेना दिवस निबंध
Essay on Indian Navy Day in Hindi


नौसेना दिवस (Indian Navy Day 2018) हर साल 4 दिसंबर को मनाया जाता है. इस दिन नौसेना के जाबाजों को याद किया जाता है. नेवी डे (Navy Day) 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय नौसेना (Indian Navy) की जीत के जश्न के रूप में मनाया जाता है. पाकिस्तानी सेना द्वारा 3 दिसंबर को हमारे हवाई क्षेत्र और सीमावर्ती क्षेत्र में हमला किया था. इस हमले ने 1971 के युद्ध की शुरुआत की थी. पाकिस्तान को मुह तोड़ जवाब देने के लिए 'ऑपरेशन ट्राइडेंट' चलाया गया. यह अभियान पाकिस्‍तानी नौसेना के कराची स्थित मुख्‍यालय को निशाने पर लेकर शुरू किया गया. एक मिसाइल नाव और दो युद्ध-पोत की एक आक्रमणकारी समूह ने कराची के तट पर जहाजों के समूह पर हमला कर दिया. इस युद्ध में पहली बार जहाज पर मार करने वाली एंटी शिप मिसाइल से हमला किया गया था. इस हमले में पाकिस्तान के कई जहाज नेस्‍तनाबूद कर दिए गए थे. इस दौरान पाकिस्तान के ऑयल टैंकर भी तबाह हो गए थे.

नौसेना दिवस (Navy Day) 4 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है?
नौसेना दिवस 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में जीत हासिल करने वाली भारतीय नौसेना की शक्ति और बहादुरी को याद करते हुए मनाया जाता है. 'ऑपरेशन ट्राइडेंट' के तहत 4 दिसंबर, 1971 को भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कराची नौसैनिक अड्डे पर हमला बोल दिया था. इस ऑपरेशन की सफलता को ध्यान में रखते हुए 4 दिसंबर को हर साल नौसेना दिवस मनाया जाता है.

भारतीय नौसेना का गठन Formation of Indian Navy

भारतीय नौसेना की शुरुआत 17 वीं शताब्दी में हुई थी। जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक समुद्री सेना दल का गठन किया और ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से स्थापना की। यह दल “द ऑनर एबल ईस्ट इंडिया कंपनी मरीन” कहा जाता था बाद में इसी को बदलकर “द बांबे मरीन” कहा गया।

भारत के पहले विश्व युद्ध के समय नौसेना का नाम रॉयल इंडियन मरीन रख दिया गया था। 26 जनवरी सन् 1950 में जब भारत पूरी तरह से गणतंत्र देश बना तभी भारतीय नौसेना ने अपना नाम रॉयल इंडियन मरीन से रॉयल हटा दिया। भारतीय नौसेना में 32 नौ परिवहन जल जहाज और लगभग 11000 अधिकारी और नौसैनिक थे।

1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन ट्राइडेंट चलाकर पाकिस्तान के कराची हर्बर को मिटा दिया था जो पाकिस्तान नौसेना का मुख्यालय था। ऐसे में भारतीय नौसेना के खतरनाक हमले से पाकिस्तान की नौसेना कमजोर पड़ गई थी और हार गई थी।

भारतीय नौसेना ने जल सीमा में कई बड़े कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सन् 1961 में भारतीय नौसेना ने गोवा से पुर्तगालियों को भगाने में थल सेना की सहायता की थी।

भारतीय नौसेना का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थापित किया गया है जिसका नियंत्रण मुख्य नौसेना ऑफिसर एडमिरल के हाथों में होता है। नौसेना भारतीय सेना का एक सामुद्रिक भाग है जिसका नियंत्रण गृह मंत्रालय के पास होता है।












Saturday, November 30, 2019

स्वच्छ भारत अभियान पर 10 लाइनें हिंदी में || Swachh Bharat Abhiyan essay or Speech in Hindi

स्वच्छ भारत अभियान
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने महात्मा गांधी जी की जयंती 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की , स्वच्छ भारत अभियान को भारत मिशन और स्वच्छता अभियान भी कहा जाता है । स्वच्छ और सुंदर भारत का सपना महात्मा गाँधी जी ने देखा था। उनके अनुसार स्वच्छता की जागरूकता की मशाल सभी में पैदा होने चाहिए इसके तहत स्कूलों में भी स्वच्छ भारत अभियान के कार्य होने लगे हैं स्वच्छता से ना केवल हमारा तन साफ रहता है । हमारा मन भी साथ रहता है। इसके अंतर्गत गली, मोहल्ले और शहर की सफाई करना आता है। स्वच्छता अभियान के तहत सड़को पर कूड़ा फेंकना मना है। साफ-सफाई को लेकर भारत की छवि को बदलने के लिए श्री नरेंद्र मोदी जी ने देश को एक मुहिम से जोड़ने के लिए जन आंदोलन बनाकर इसकी शुरुआत की । स्वच्छता अभियान के तहत बहुत से शौचालय बनाए गए है।जगह जगह जाकर कैंप लगाकर लोगों को सफाई के प्रति जागरूक किया गया है। भारत को स्वच्छ, सुंदर और स्वस्थ बनाना हम सबका कर्तव्य है इसलिए हमें स्वच्छता अभियान से जुड़ना चाहिए। स्वच्छ भारत अभियान के निम्न कुछ महत्वपूर्ण उद्देश्य। भारत में खुले में मलत्याग की व्यवस्था का जड़ से उन्मूलन।

स्वच्छ भारत अभियान पर 10 लाइनें हिंदी में || Swachh Bharat Abhiyan essa...

छठ पूजा पर निबंध || Best Essay on "Chhath Puja" in Hindi || 10 Lines Essay on Chhathi

प्रस्तावना ‘छठ पूजा’ हिन्दुओं का प्रसिद्द त्यौहार है। यह त्यौहार हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छठी को मनाया जाता है। यह त्यौहार चार दिन तक चलता है। छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार एवं उत्तर प्रदेश तथा भारत के अन्य भागों में मनायी जाती है। छठ पूजा को डाला छठ के नाम से भी जानते हैं। यह त्यौहार पति की दीर्घायु और संतान सुख की कामना के लिए मनाया जाता है। इतिहास एक मान्यता के अनुसार छठ पूजा का पर्व महाभारत काल में कुंती द्वारा सूर्य देव की आराधना एवं पुत्र कर्ण के जन्म से माना जाता है। एक और कथा के मुताबिक जब लंका विजय के पश्चात रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को प्रभु राम और माता सीता ने व्रत रखा था और सूर्य देव की आराधना की थी। छठ पूजा पर्व विधि छठ पूजा के पहले दिन महिलाएँ चने की दाल, लोकी की सब्जी और रोटी आदि खाती है। दुसरे दिन वह रात को सिर्फ गुड़ की खीर खाती है जिसे खरना कहते हैं। तीसरे दिन यानि कि षष्ठी के दिन वह निर्जला व्रत रखती है और अपनी गुँजाईश के अनुसार 11, 21 या 51 फलों का प्रसाद बाँस के डालिया में बाँधकर अपने पति या बेटे को दे देती है और नदी की तरफ चल पड़ती है। जाते जाते रास्ते में महिलाएँ छठी माता के गीत गाती हैं। नदी पर पहुँचक पंडित से पूजा करवाकर शाम को कच्चे दुध से डुबते हुए सूर्य को अर्ध्य देती हैं। अगले दिन उदय होते हुए सूर्य को भी कच्चे दुध से अर्ध्य दिया जाता है और फिर वह अपना व्रत तोड़ती है। महत्त्व सुख समृद्धि के प्रतीक सूर्य देव की कृपा धरती के सभी जीव-जंतुओं पर बनी रहे

छठ पूजा पर निबंध || Best Essay on "Chhath Puja" in Hindi || 10 Lines Ess...

धनतेरस पर निबंध || Short Essay on Dhanteras Festival in Hindi

धनतेरस पर निबंध-Short Essay on Dhanteras Festival in Hindi प्रस्तावना धनतेरस शब्द ‘धन’ का ही एक स्वरुप है, जिसका अर्थ है धन और ‘तेरास’ जिसका अर्थ तेरहवे(13) इसलिए यह हिन्दूओं के कार्तिक माह (अक्टूबर-नवंबर) में कृष्ण पक्ष के तेरहवें दिन पर मनाया जाने वाला त्यौहार है। धनतेरस कब-क्यों मनाई जाती है? प्रचलित कथा के अनुसार इस दिन समुद्र मंथन से आयुर्वेद के जनक भगवान् धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। उन्होंने देवताओं को अमृतपान कराकर अमर कर दिया था। अतः वर्तमान सन्दर्भ में भी आयु और स्वस्थता की कामना हेतु धनतेरस पर भगवान् धन्वंतरि का पूजन किया जाता है। महत्त्व यह दिवाली से सिर्फ दो दिन पहले मनाया जाता है, जिसमें लोग समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भगवान् से प्रार्थना करते हैं। धनतेरस को ‘धनत्रियोदशी’ और ‘धन्वंतरी त्रियोंदशी’ भी कहते है।

धनतेरस पर निबंध || Short Essay on Dhanteras Festival in Hindi || Dhanter...

गोवर्धन पूजा निबंध

गोवर्धन पूजा निबंध 'गोवर्धन पूजा' हिंदुओं का प्रसिद्द त्यौहार है। यह सम्पूर्ण भारत में मनाया जाता है किन्तु उत्तर भारत में इसका विशेष महत्त्व है। यह पांच दिन के दीवाली त्यौहार के चौथे दिन एवं सामान्यतया दीवाली के अगले दिन पड़ता है। यह हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि को मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा कब-क्यों मनाई जाती है? गोवर्धन पूजा, भगवान् श्रीकृष्ण एवं गोवर्धन पर्वत की पूजा का दिन है। भगवान् श्रीकृष्ण ने इस दिन गोवर्धन पर्वत को उंगली के छोर पर उठाकर ग्रामवासिओं की रक्षा की थी जिस कारण इस त्यौहार को मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा का त्यौहार Annakut के रूप में मनाया जाता है। लोग ऐसे में गेहूं, चावल, बेसन और पत्तेदार सब्जियों की करी के रूप में अनाज का खाना बनाने के क्रम में हिंदू भगवान कृष्ण की पेशकश करने से गोवर्धन पूजा मनाते हैं। गोवर्धन पूजा का महत्व ऐसा माना जाता है कि ये उत्सव खुशी का उत्सव है और इस दिन जो दुखी रहेगा तो वो वर्ष भर दुखी ही रहेगा। इस दिन खुश रहने वाला व्यक्ति वर्ष भर खुश रहेगा। इसलिए इस गोवर्धन पूजा करना बहुत ही जरूरी है।

गोवर्धन पूजा निबंध || "Govardhan Puja" Essay in Hindi || Short Essay on ...

गुरुनानक देव जी पर निबंध

गुरुनानक देव जी पर निबंध(GURU NANAK JI)
भूमिका- गुरुनानक देव सिक्ख धर्म के प्रथम गुरु हैं। इन्होंने ग्रन्थ साहब की रचना की जो कि गुरुमुखी भाषा में है व भजन हिन्दी भाषा में है। 
जीवन परिचय- गुरुनानक जी का जन्म लाहौर (पाकिस्तान) से 35 मील दूर तलवण्डी नाम गाँव में सन् 1523 ई. को कार्तिक पूर्णिमा (15 अप्रैल) को हुआ था। इस गाँव का नाम अब ‘ननकाना साहब’ हो गया है। पिता का नाम मेहता कालूराम और माता का नाम तृप्ता था। पिता जी गांव के पटवारी थे। नानक की एक बहन भी थी जिसका नाम नानकी था। ईश्वर पर श्रद्धा- गुरुनानक देव जी बचपन से ही भक्ति में लीन थे। तथा भगवान की भक्ति करते रहते थे। वह हमेशा साधु सन्तों की संगति में रहते थे तथा प्रभु भजन करते रहते हैं। वह बहुत दयालु भी थे तथा हमेशा असहायों की सहायता करते थे। 
वैवाहिक जीवन- उन्नीस वर्ष की अवस्था में उनका विवाह बटाला के खत्री मूल चन्द की पुत्री सुलक्खनी से हुआ। उनके दो लड़के श्री चन्द और लक्ष्मी चन्द भी हुए। फिर भी उनका मन संसारिक मोह-पाशों में नहीं बन्धा। कहते हैं कि वेई नदी के किनारे उन्हें ज्ञान प्राप्ति मिली। 
समाज सुधारक- गुरू नानक देव जी एक समाज सुधारक थे। उन्होंने अपना सारा जीवन जाति भेदभाव और राग द्वेष को मिटाने में लगा दिया। वे सबको परमात्मा की सन्तान मानते थे। दूसरों की सेवा करना ही उनका आदर्श मन्त्र था। छुआछूत, अंधविश्वासों तथा पाखण्डों का उन्होंने खुलकर विरोध किया। 
अन्तिम समय - जीवन के अन्तिम समय में गुरू नानक देव वेई के किनारे करतारपुर में रहने लगे, जहाँ उन्होंने स्वयं खेती की तथा लोगों को कर्म करने की प्रेरणा दी। गुरू अंगद देव को उन्होंने गुरू गद्दी दी और 7 सितम्बर, 1539 में ज्योति-ज्योत समा गए।

गुरुनानक देव जी पर निबंध || Hindi Essay on “Guru Nanak Dev Ji”|| Best E...

'क्रिसमस'|| Simple & Short Essay on Christmas || Christmas Par Nibandh



प्रस्तावना


'क्रिसमस' ईसाइयों का प्रसिद्द त्यौहार है। यह 25 दिसंबर को प्रति वर्ष सम्पूर्ण विश्व में धूमधाम से मनाया जाता है। क्रिसमस का त्यौहार ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह ईसाइयों का सबसे बड़ा और खुशी का त्यौहार है। इसे 'बड़ा दिन' भी कहा जाता है।

क्रिसमस की तैयारी

ईसाईयों में क्रिसमस के उत्सव की शुरुआत चार हफ्ते पहले से ही होने लगती है और इसके 12वें दिन पर समाप्ति होती है। इसे पूरी दुनिया में एक धार्मिक और पारंपरिक पर्व के रुप में मनाया जाता है।




क्रिसमस के दिन गिरिजाघरों में विशेष प्रार्थनाएं होती हैं एवं जगह-जगह प्रभु ईसा मसीह की झांकियां प्रस्तुत की जाती हैं। इस दिन घर के आंगन में क्रिसमस ट्री लगाया जाता है। क्रिसमस के त्यौहार में केक का विशेष महत्व है।इस दिन लोग एक-दूसरे को केक खिलाकर त्यौहार की बधाई देते हैं।



क्रिसमस पर बच्चों के लिए सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र होता है सांताक्लॉज, जो लाल और सफेद कपड़ों में बच्चों के लिए ढेर सारे उपहार और चॉकलेट्स लेकर आता है। यह एक काल्पनिक किरदार होता है जिसके प्रति बच्चों का लगाव होता है। ऐसा कहा जाता है कि सांताक्लाज स्वर्ग से आता है और लोगों को मनचाही चीजें उपहार के तौर पर देकर जाता है। यही कारण है कि कुछ लोग सांताक्लाज की वेशभूषा पहन कर बच्चों को भी खुश कर देते हैं।

क्रिसमस के विषय में कुछ तथ्य
एक पुस्तक के अनुसार क्रिसमस के पेड़ की शुरुआत सन 1570 में किया गया था।
क्रिसमस के पर्व के लिए प्रति वर्ष यूरोप (Europe) में 60 लाख पेड़ उगाये जाते हैं|
सांता क्लॉस की लोकप्रिय छवि को जर्मन मूल के अमेरिकी कार्टूनिस्ट थॉमस नस्ट (1840-1902) के द्वारा बनाया गया, जो हर साल एक नई छवि को बनाते थे
निष्कर्ष
क्रिसमस आनंद एवं खुशियों का त्यौहार है। इस अवसर पर ईसाई अपने मित्रों और निकट सम्बन्धियों को भोजन एवं पार्टी के लिए आमंत्रित करते है। यह लोगों को आपस में जोड़ता है। क्रिसमस एक पवित्र धार्मिक अवकाश और एक विश्वव्यापी सांस्कृतिक और वाणिज्य घटना दोनों है।

'क्रिसमस'|| Simple & Short Essay on Christmas in Hindi || Christmas Par ...

इंदिरा गांधी पर हिन्दी निबंध || भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री || Best Essay on Indira Gandhi in Hindi


प्रारंभिक जीवन
'इन्दिरा गांधी' का पूरा नाम इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी था। उनका जन्म 19 नवंबर 1917 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में एक संपन्न परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जवाहरलाल नेहरु था जो स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। उनकी माता का नाम कमला नेहरू था। उनके दादा का नाम मोतीलाल नेहरु था।
शिक्षा

1934-35 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद इंदिरा ने शांतिनिकेतन में रवीन्द्रनाथ टैगोर के बनाए गए 'विश्व-भारती विश्वविद्यालय' में प्रवेश लिया।

इसके बाद 1937 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया। इस समय के दौरान इनकी अक्सर फिरोज़ गाँधी से मुलाकात होती थी, जिन्हे यह इलाहाबाद से जानती थीं और जो लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स में अध्ययन कर रहे थे।

वैवाहिक जीवन

16 मार्च 1942 को आनंद भवन, इलाहाबाद में एक निजी आदि धर्म ब्रह्म-वैदिक समारोह में इनका विवाह फिरोज़ से हुआ। राजीव तथा संजय उनके दो पुत्र थे ।


भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अध्यक्ष

ऑक्सफोर्ड से वर्ष 1941 में भारत वापस आने के बाद वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल हो गयीं।

1959 और 1960 के दौरान इंदिरा चुनाव लड़ीं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं।

प्रथम महिला प्रधानमंत्री

11 जनवरी 1966 को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री की असामयिक मृत्यु के बाद 24 जनवरी 1966 को श्रीमती इंदिरा गांधी भारत की तीसरी और प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनीं। इसके बाद तो वह लगातार तीन बार 1967-1977 और फिर चौथी बार 1980-84 देश की प्रधानमंत्री बनीं।

इंदिरा गांधी ने 1971 के युद्ध में विश्व शक्तियों के सामने न झुकने के नीतिगत और समयानुकूल निर्णय क्षमता से पाकिस्तान को परास्त किया और बांग्लादेश को मुक्ति दिलाकर स्वतंत्र भारत को एक नया गौरवपूर्ण क्षण दिलवाया।
अन्तिम समय
पंजाब में आतंकवाद समाप्त करने हेतु उनके ‘ ब्लू स्टार ‘ कार्यवाही से क्षुब्ध उनके ही दो सुरक्षाकर्मियों बेअंत सिंह व सतवंत सिंह ने 31 अक्टूबर 1984 ई॰ को उन्हें गोलियों से भून दिया ।

इन्दिरा गांधी एक ऐसी महिला थीं, जो न केवल भारतीय राजनीति पर छाई रहीं बल्कि विश्व राजनीति के क्षितिज पर भी वह विलक्षण प्रभाव छोड़ गईं। उन्हें लौह महिला के नाम से भी संबोधित किया जाता है। अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता के लिए 'विश्वराजनीति' के इतिहास में इन्दिरा गांधी का नाम सदैव याद रखा जायेगा।

इंदिरा गांधी पर हिन्दी निबंध || भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री || Best...

डॉ. राजेंद्र प्रसाद || भारत के पहले राष्ट्रपति || Essay on Dr. Rajendra Prasad

डॉ. राजेंद्र प्रसाद

 भारत के पहले राष्ट्रपति








डॉ. राजेन्द्र प्रसाद पर हिन्दी निबंध || भारत के पहले राष्ट्रपति|| Best E...

अटल बिहारी वाजपेयी पर निबन्ध || Essay on Atal Bihari Vajpayee in Hindi |...

अटल बिहारी वाजपेयी पर निबन्ध

अटलजी देश के सफल प्रधानमन्त्रियों में से एक थे । अटलजी मात्र राजनेता ही नहीं अपितु सर्वमान्य व्यक्ति एवं साहित्यकार भी हैं। उनका चिरप्रसन्न एवं मुक्त स्वभाव उनको महान बना देता है।

जन्म व शिक्षा:

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में हुआ था । इनके पिता पण्डित कृष्णबिहारी वाजपेयी एक स्कूल शिक्षक थे और दादा पण्डित श्यामलाल वाजपेयी संस्कृत के जाने-माने विद्वान् थे । वाजपेयीजी की प्रारम्भिक शिक्षा भिंड तथा ग्वालियर में हुई ।

विक्टोरिया कॉलेज (वर्तमान महारानी लक्ष्मीबाई कला एवं वाणिज्य विश्वविद्यालय) से स्नातक की उपाधि ग्रहण की । राजनीति शास्त्र में एम०ए० करने हेतु ये डी०ए०वी० कॉलेज कानपुर चले आये । कानून की पढ़ाई करते-करते अधूरी छोड़कर राजनीति में सक्रिय हो गये ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक :


राष्ट्रीय स्वयंसेवक के रूप में लखनऊ में इन्होंने राष्ट्रधर्म एवं पांचजन्य नामक पत्रिका का सम्पादन किया । इसी तरह वाराणसी से प्रकाशित वीर चेतना साप्ताहिक, लखनऊ से प्रकाशित दैनिक स्वदेश और दिल्ली से प्रकाशित वीर अर्जुन का भी सम्पादन किया ।

राजनीतिक जीवन:

 6अप्रैल 1980 ई० में उनको भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर आसीन किया गया। 

19 अप्रैल 1998 को भारत के राष्ट्रपति के०आर० नारायणन ने इन्हें प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलायी । ये 21 मई 2004 तक भारत के प्रधानमन्त्री रहे ।

उपसंहार:

सन् 1992 में पद्मविभूषणतथा 1994 में श्रेष्ठ सांसद के रूप में पण्डित गोविन्द वल्लभ पन्त और लोकमान्य तिलक पुरस्कारों से इन्हें सम्मानित किया गया ।


नरेंद्र मोदी के प्रशासन ने 2014 में घोषणा की कि वाजपेयी के जन्मदिन, 25 दिसंबर को सुशासन दिवस के रूप में चिह्नित किया जाएगा। उम्र से संबंधित बीमारी के कारण 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया