Tuesday, March 31, 2020

गुड फ्राइडे पर निबंध || Short Essay on Good Friday in Hindi || Good Frid...










गुड फ्राइडे पर निबंध

गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे और ग्रेट फ्राइडे के नाम से भी जाना जाता है। गुड फ्राइडे को ईस्टर संडे से पहले वाले शुक्रवार को शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन ईसा मसीह को कई शारीरिक यातनाएं देने के बाद सूली पर चढ़ाया गया था। इस कारण इस त्योहार को ब्लैक फ्राइडे भी कहा जाता है। ईसाई धर्म के लोगों की मान्यताओं के अनुसार यीशु (ईसा मसीह) ने लोगों की भलाई के लिए अपने प्राण त्याग दिए थे। इसलिए इस शोक दिवस को ‘गुड’ का नाम दिया गया है।

ईसाई धर्मानुसार ईसा मसीह परमेश्वर के पुत्र थे। ईसा मसीह को यीशु के नाम से भी पुकारा जाता है। "गुड फ्राइडे"(Good Friday) के दिन ही उन्हें क्रॉस पर लटकाया गया था। इस दिन जीवनभर लोगों में प्रेम और विश्वास जगाने वाले प्रभु यीशु को याद किया जाता है और उनके उपदेशों को सुनाया जाता है। गुड फ्राइडे के दिन श्रद्धालु प्रेम, सत्य और विश्वास की डगर पर चलने का प्रण लेते हैं। कई जगह लोग इस दिन काले कपड़े पहनकर शोक व्यक्त करते हैं।



धर्म ग्रंथों के अनुसार यीशु मसीह का जन्म बैथलहम में हुआ था। बालक यीशु को बैथलहम के राजा हेरोदेस ने मरवाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। बड़े होने पर यीशु मसीह ने जगह-जगह जाकर लोगों को मानवता और शांति का सन्देश दिया। गुड फ्राइडे का त्यौहार वास्तव में प्रभु यीशु द्वारा मानवता के लिए प्राण का न्यौछावर करने का दिन है।

गुड फ्राइडे के दिन ईसाई धर्म के अनुयायी यीशु को उनके त्याग के लिए याद करते हैं।


Monday, March 30, 2020

बैसाखी त्यौहार पर निबंध || Simple & Short Essay on Baisakhi Festival in ...







बैसाखी
त्यौहार पर निबंध
Essay on Baisakhi Festival in Hindi [Punjabi
New Year ]



प्रस्तावना

बैसाखी सिखों का प्रसिद्द त्यौहार है। बैसाखी को ‘वैसाखी’ के नाम से भी जाना जाता है। बैसाखी प्रायः प्रति वर्ष 13 अप्रैल को मनायी जाती है किन्तु कभी-कभी यह 14 अप्रैल को पड़ती है। यह सम्पूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है किन्तु पंजाब एवं हरियाणा में इसका विशेष महत्त्व है। यह त्यौहार सिख लोगों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इस दिन को वो अपने नए साल के पहले दिन के रूप में मानते हैं



बैसाखी त्यौहार का महत्व

बैसाखी त्यौहार इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन अंतिम सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिखों को खालसा के रूप में संगठित किया और खालसा पन्त की स्थापना हुई थी, । । यह त्यौहार सभी धर्मों एवं जातियों के द्वारा मनाया जाता है। बैसाखी मुख्यतः कृषि पर्व है। यह त्यौहार फसल कटाई के आगमन के रूप में मनाया जाता है।



इस दिन को बहुत शुभ माना जाता है और इसे कई कारणों की वजह से मनाया जाता है। यहां इस दिन के विशेष कारणों पर एक नजर है:
इस दिन को गुरु तेग बहादुर के उत्पीड़न और मौत के बाद सिख आदेश की शुरुआत के रूप में देखा गया जिन्होंने मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश के अनुसार इस्लाम को कबूलने से इनकार कर दिया। इससे दसवें सिख गुरु के राज्याभिषेक और खालसा पंथ का गठन हुआ। यह दोनों घटनाएँ बैसाखी दिवस पर हुई। यह दिन हर वर्ष खालसा पंथ के गठन की याद में मनाया जाता है।
सिख भी इसे फसल काटने के उत्सव के रूप में मनाते हैं।
यह सिख समुदाय से संबंधित लोगों के लिए भी नए साल का पहला दिन है।
यह एक प्राचीन हिंदू त्योहार है जो सौर नव वर्ष को चिह्नित करता है। हिंदु इस दिन वसंत की फसल का भी जश्न मनाते हैं।



बैसाखी का उत्सव


बैसाखी त्यौहार के दिन सिख लोग अपने अपने पास के गुरुद्वारों में जाते हैं। वहां वो लोग मत्था टेकते हैं और फूल चढ़ाते हैं। इस दिन सिख लोग अपने परिवार जनों के साथ नाचते हैं, स्वादिष्ट खाना खाते हैं । इस दिन वे सभी रंगीन कपडे पहनते हैं और भंगड़ा नृत्य करते हैं जो देखने में बहुत ही अच्छा होता है। पारंपरिक रूप से कई जगह मेला भी लगाये जाते हैं जिसे “बैसाखी मेला” कहा जाता है। वहां बच्चों के लिए सुन्दर खिलौने, स्वादिस्ट मिठाई, और चटपटे खाना भी मिलता है। इन मेलों में सभी लोग अपने परिवार के लोगों के साथ घूमने जाते हैं ।

गुरुद्वारों को इस दिन पूरी तरह से रोशनी और फूलों से सजाया जाता है और इस शुभ दिन को मनाने के लिए कीर्तनों का आयोजन किया जाता है

निष्कर्ष

इस त्यौहार का मूल उद्देश्य है प्रार्थना करना, एकजुट रहना और अच्छे भोजन का आनंद लेना आदि। इस दिन लोगों में बहुत खुशी और उत्तेजना होती है।

Thursday, March 26, 2020

महावीर जयंती पर निबंध || Essay on Mahavir Jayanti in Hindi || Mahavir J...








2020 महावीर जयंती पर निबंध Essay on Mahavir Jayanti in Hindi


महावीर जयंती का उत्सव खासकर भारत में जैन धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है। अन्य सभी धर्मों के लोग भी इस दिन को भारत में मनाते हैं। महावीर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। वो जैन धर्म के प्रवर्तक थे और जैन धर्म के मूल सिधान्तों की स्थापना में उनका अहम योगदान है। उनका जन्म शुक्लपक्ष, चैत्र महीने के 13वें दिन 540 ईसीबी में कुंडलगामा, वैशाली जिला, बिहार में हुआ था। इसलिए प्रतिवर्ष महावीर जयंती के उत्सव को अप्रैल के महीने में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।

भगवान महावीर का वास्तविक नाम वर्धमान है इनके पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशाला थी इनके जन्म के समय में यह कहा गया था की या तो ये महान शासक बनेगे या फिर कोई महान तीर्थकर. फिर आयु बढ़ने के साथ महावीर का मन कभी भी सांसारिक कार्यो में नही लगता था और फिर 30 वर्ष की आयु में घर- द्वार राजपाठ का सारा कार्य छोड़कर सत्य की खोज में सांसारिक जीवन को त्याग करके सन्यासी हो गये

फिर भगवान महावीर ने सन्यास की दीक्षा लेने के बाद 12 वर्षो तक कठोर तप किया फिर उन्हें सत्य के ज्ञान की प्राप्ति हुई फिर यही से वर्धमान महावीर कहलाने लगे



इसके बाद भगवान महावीर ने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अपने अनुयायियो के साथ मिलकर समाज कल्याण के कार्यो में जुट गये और फिर 72 वर्ष की आयु में निर्वाण को प्राप्त हुए



महावीर जयन्ती का पर्व बड़ी धूमधाम और उल्लास से मनाया जाता है । पर्व के कई दिनों पहले से ही पूजा-पाठ की तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं । श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों प्रकार के जैन मंदिरों को खूब सजाया जाता है किन्तु सादगी (Simplicity) और पवित्रता (Purity) का ध्यान रखा जाता है । इस पर्व से हमें हर वर्ष यह प्रेरणा (Inspiration) देने का प्रयत्न किया जाता है कि हमें अपने जीवन में झूठ, कपट, लोभ-लालच और दिखावे से दूर रखना चाहिए तथा सच्चा, शुद्ध और परोपकारी जीवन जीना चाहिए त भी अपना और इस संसार का कल्याण संभव है ।


यह दिन जैन धर्म के लिए बहुत ही मायने रखता है। यह दिन राजपत्रित अवकाश के रूप में पूरे भारत में माना जाता है और लगभग सभी सरकारी दफ्तरों तथा शैक्षिक संसथानों में छुट्टी होता है।

Wednesday, March 25, 2020

उगादी त्यौहार पर निबंध


Image result for ugadi celebration

उगादी त्यौहार पर निबंध Essay on Ugadi Festival in Hindi



उगादी त्यौहार त्यौहार भारत में कर्नाटक, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, और तेलन्गाना में प्रसिद्ध रूप से मनाया जाता है। चैत्र माह के प्रथम अर्ध चन्द्रमा के दिन उगादी के महोत्सव को बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह दिन प्रतिवर्ष मार्च से अप्रैल महीने के बीच आता है। उगादी त्यौहार भारत के महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, और कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों में नव वर्ष की दिन के रूप में माना जाने वाला दिन है|



उगादी पर्व की कहानी

आंध्र प्रदेश में Ugadi का त्यौहार खासकर भगवान ब्रह्मा जी को समर्पित किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इसी दिन ब्रम्हा जी ब्रह्माण्ड की रचना शुरु की थी।

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार यह भी माना जाता है कि इस दिन भगवान् विष्णु जी ने मतस्य अवतार लिया था। उगादी को लेकर कई सारे ऐतहासिक तथा पौराणिक वर्णन मिलते हैं। ऐसा माना जाता है कि उगादि के दिन ही भगवान श्री राम का राज्याभिषेक भी हुआ था। इसके साथ ही इसी दिन सम्राट विक्रमादित्य ने शकों पर विजय प्राप्त की थी।



उगादी त्योहार कैसे मनाते हैं

इस दिन को लेकर लोगो में काफी उत्साह रहता है और इस दिन वह सुबह उठकर अपने घरों की साफ-सफाई में लग जाते हैं, घरों की साफ-सफाई करने के बाद लोग अपने घरों के प्रवेश द्वार को आम के पत्तों से सजाते हैं।

इसके साथ ही इस दिन एक विशेष पेय बनाने की भी प्रथा है, जिसे पच्चड़ी नाम से जाना जाता है। पच्चड़ी नामक यह पेय नई इमली, आम, नारियल, नीम के फूल, गुड़ जैसे चीजों को मिलाकर मटके में बनायी जाती है। लोगों द्वारा इस पेय को पीने के साथ ही आस-पड़ोस में भी बांटा जाता है। उगादी के दिन कर्नाटक में पच्चड़ी के अलावा एक और चीज का भी लोगों द्वारा खायी जाती है, जिसे बेवु-बेल्ला नाम से जाना जाता है।

यह गुड़ और नीम के मिश्रण से बना होता है, जो हमें हमारे जीवन में इस बात का ज्ञान कराता है कि जीवन में हमें मीठेपन तथा कड़वाहट भरे दोनो तरह के अनुभवों से गुजरना पड़ता है। इस मीठे-कड़वे मिश्रण को खाते वक्त लोगों द्वारा निम्नलिखित संस्कृत श्लोक का उच्चारण किया जाता है।

उगादी त्यौहार पर घरों को रंगोली के रंग से एक अलग ही चमक मिलती है| इस दिन घर के समस्त जण अपने अपने काम से छुट्टी ले एक साथ मौज मस्ती करते हैं| ये त्यौहार हमें वीरता और साहस की एक अलग ही परिभासा सिखाती है|

निष्कर्ष

उगादी का पर्व नए साल की शुरूआत होती है। उगादी के पर्व पर लोगों में बहुत ही ज्यादा खुशी और उत्साह होता है। उगादी के दिन ही नवरात्री का आरंभ होता है। उगादी दिन सभी शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहर्त होता है और इसे राष्ट्रीय गौरव तिथि के रुप में जाना जाता है।

Friday, March 20, 2020

राम मनोहर लोहिया पर निबंध || Essay on Ram Manohar Lohia in Hindi || Dr. ...







राम मनोहर लोहिया एक स्वतंत्रता सेनानी, प्रखर समाजवादी और सम्मानित राजनीतिज्ञ थे । राम मनोहर ने हमेशा सत्य का अनुकरण किया और आजादी की लड़ाई में अद्भुत काम किया ।

प्रारंभिक जीवन

डॉ० लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को उत्तरप्रदेश के अकबरपुर नामक गांव में हुआ था । उनके पिता श्री हीरालाल लोहिया और माता चन्दादेवी थीं ।

1925 में मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की । काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से इंटर पास किया ।

उसके बाद उन्होंने वर्ष 1929 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और पीएच.डी. करने के लिए बर्लिन विश्वविद्यालय, जर्मनी, चले गए, जहाँ से उन्होंने वर्ष 1932 में इसे पूरा किया। यहां ”इकानॉमिक्स ऑफ साल्ट” विषय पर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की ।

उनके कार्य:

भारत वापस आने पर वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और वर्ष 1934 में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की आधारशिला रखी । वर्ष 1936 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का पहला सचिव नियुक्त किया ।

24 मई, 1939 को लोहिया को उत्तेजक बयान देने और देशवासियों से सरकारी संस्थाओं का बहिष्कार करने के लिए लिए पहली बार गिरफ्तार किया गया । जून 1940 में उन्हें “सत्याग्रह नाउ” नामक लेख लिखने के आरोप में पुनः गिरफ्तार किया गया और दो वर्षों के लिए कारावास भेज दिया गया । भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वर्ष 1942 में महात्मा गांधी, नेहरू, मौलाना आजाद और वल्लभभाई पटेल जैसे कई शीर्ष नेताओं के साथ उन्हें भी कैद कर लिया गया था । स्वतन्त्रता मिलने के बाद वे 1966 तक संसद में विपक्ष के सदस्य रहे, जहां एक मजबूत विपक्ष की उन्होंने प्रभावी भूमिका का निर्वहन किया ।

निधन

राम मनोहर लोहिया का निधन 57 साल की उम्र में 12 अक्टूबर, 1967 को नई दिल्ली में हुआ था । 
डॉ० लोहिया देश सेवा में किये गये अपने कार्यों के कारण हमारे बीच लोकनायक की उज्जल छवि के साथ हमेशा जीवित रहेंगे ।

Tuesday, March 17, 2020

डॉ भीमराव अम्बेडकर पर निबंध || Simple & Short Essay on Dr. B.R. Ambedkar...






डॉ भीमराव अम्बेडकर पर निबंध

डॉ बी. आर. अम्बेडकर एक विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता, अर्थशास्त्री, कानूनविद, राजनेता और सामाज सुधारक थे। डा० अंबेडकर ने भारत के संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें भारतीय संविधान का जनक भी माना जाता है। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री बने। बाबा साहेब डा० भीमराव रामजी अंबेडकर को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से भी सम्मानित किया गया।



प्रारंभिक जीवन

'डा० बी०आर० अंबेडकर' का पूरा नाम डा० भीमराव रामजी अंबेडकर था। डा० अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मऊ, मध्य प्रदेश, भारत में हुआ था वे रामजी मालोजी सकपाल एवं भीमाबाई की संतान थे। डा० अंबेडकर को 'बाबा साहेब' के नाम से भी लोकप्रियता प्राप्त हुई।

शिक्षा


प्रारम्भिक शिक्षा में उन्हें बहुत अधिक अपमानित होना पड़ा । वे एक प्रतिभाशाली छात्र थे । 1907 में मैट्रिक व 1912 में बी०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की । बड़ौदा के महाराज की ओर से कुछ मेधावी छात्रों को विदेश में पढ़ने की सुविधा दी जाती थी, सो अम्बेडकर को यह सुविधा मिल गयी ।

अम्बेडकर ने 1913 से 1917 तक अमेरिका और इंग्लैण्ड में रहकर अर्थशास्त्र, राजनीति तथा कानून का गहन अध्ययन किया । पी०एच०डी० की डिग्री भी यहीं से प्राप्त की । बड़ौदा नरेश की छात्रवृत्ति की शर्त के अनुसार उनकी 10 वर्ष सेवा करनी थी ।उन्हें सैनिक सचिव का पद दिया गया । सैनिक सचिव के पद पर होते हुए भी उन्हें काफी अपमानजनक घटनाओं का सामना करना पड़ा ।अपमानित होने पर उन्होंने यह पद त्याग दिया ।

बम्बई आने पर भी छुआछूत की भावना से उन्हें छुटकारा नहीं मिला । यहां रहकर उन्होंने ”वार एट लॉं’ की उपाधि ग्रहण की । 

उनके कार्य

बचपन से लगातार छुआछूत और सामाजिक भेदभाव का घोर अपमान सहते हुए भी उन्होंने वकालत का पेशा अपनाया । छुआछूत के विरुद्ध लोगों को संगठित कर अपना जीवन इसे दूर करने में लगा दिया । सार्वजनिक कुओं से पानी पीने व मन्दिरों में प्रवेश करने हेतु अछूतों को प्रेरित किया । अम्बेडकर हमेशा यह पूछा करते थे- ”क्या दुनिया में ऐसा कोई समाज है जहां मनुष्य के छूने मात्र से उसकी परछाई से भी लोग अपवित्र हो जाते हैं?”

डॉ० अम्बेडकर ने अछूतोद्धार से सम्बन्धित अनेक कानून बनाये । 1947 में जब वे भारतीय संविधान प्रारूप निर्माण समिति के अध्यक्ष चुने गये, तो उन्होंने कानूनों में और सुधार किया ।

उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तकों में 
(1) द अनटचेबल्स हू आर दे?, 
(2) हू वेयर दी शूद्राज, 
(3) बुद्धा एण्ड हीज धम्मा, 
(4) पाकिस्तान एण्ड पार्टिशन ऑफ इण्डिया तथा 
(5) द राइज एण्ड फॉल ऑफ हिन्दू वूमन प्रमुख हैं । 
इसके अलावा उन्होंने 300 से भी अधिक लेख लिखे । भारत का संविधान भी उन्होंने ही लिखा ।

निधन
डा० अंबेडकर का देहांत 6 दिसंबर, 1956 को 65 वर्ष की उम्र में दिल्ली, भारत में हुआ। उनकी याद में प्रति वर्ष उनके जन्मदिन 14 अप्रैल को 'अंबेडकर जयंती' के रूप में सम्पूर्ण भारत में मनाया जाता है। 20वीं शताब्दी के श्रेष्ठ चिन्तक, ओजस्वी लेखक, यशस्वी वक्ता, स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री तथा भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माणकर्ता के रूप में डा० भीमराव रामजी अंबेडकर का नाम सदैव याद किया जायेगा।

Monday, March 16, 2020

मोरारजी देसाई पर निबंध || Simple & Short Essay on Morarji Desai || Morar...







मोरारजी देसाई


मोरारजी देसाई (29 फ़रवरी 1896 – 10 अप्रैल 1995) भारत के स्वाधीनता सेनानी और देश के छ्ठे प्रधानमंत्री (सन् 1977 से 79) थे। वह 81 वर्ष की आयु में प्रधानमंत्री बने थे। वही एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न एवं पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से सम्मानित किया गया है।

प्रारंभिक जीवन

'मोरारजी देसाई' का जन्म 29 फ़रवरी 1896 को गुजरात के भदेली नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता का नाम रणछोड़जी देसाई था जो भावनगर (सौराष्ट्र) में एक स्कूल अध्यापक थे।

शिक्षा

मोरारजी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा सौराष्ट्र के ‘द कुंडला स्कूल’ में ग्रहण की । मुंबई के विल्सन कॉलेज से स्त्नातक करने के बाद वो गुजरात सिविल सेवा में शामिल हो गए।

स्वाधीनता आन्दोलन और राजनीतिक जीवन

सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद मोरारजी देसाई स्वाधीनता आन्दोलन में कूद पड़े। इसके बाद उन्होंने महात्मा गाँधी के नेतृत्व में अंग्रेजों के विरूद्ध ‘सविनय अवज्ञा’ आन्दोलन में भाग लिया। स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान मोरारजी कई बार जेल गए।

प्रधानमंत्री पद (1977-1979)

मार्च 1977 के लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ इस प्रकार 81 वर्ष की उम्र में मोरारजी देसाई भारत के प्रधानमंत्री बने। मोरारजी देसाई ने पड़ोसी मुल्कों पाकिस्तान और चीन से रिश्ते सुधारने की दिशा में पहल किया। उन्होंने चीन के साथ राजनयिक संबंधो को बहाल किया और इंदिरा गाँधी सरकार द्वारा किये गए बहुत सारे संवैधानिक संशोधनों को उनके मूल रूप में वापस कर दिया।

1979 में राज नारायण और चौधरी चरण सिंह ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया तब मात्र दो साल की अल्प अवधि में ही मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा।

निधन

प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद मोरारजी देसाई ने 83 साल की उम्र में राजनीति से संन्यास ले लिया और मुंबई में रहने लगे। 10 अप्रैल 1995 को 99 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया।

Friday, March 13, 2020

रामनवमी पर निबंध 2020 || Ram Navami Nibandh in Hindi || Simple & Short E...








रामनवमी पर निबंध 2020 – Ram Navami Nibandh in Hindi – Ram Navami Festival Essay


हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन रामनवमी का त्योहार मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को रामजन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। राम जी के जन्म पर्व के कारण ही इस तिथि को रामनवमी कहा जाता है।

राम जन्म कथा

हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की पुन: स्थापना के लिये भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रूप में अवतार लिया था। श्रीराम चन्द्र जी का जन्म चैत्र शुक्ल की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में रानी कौशल्या की कोख से, राजा दशरथ के घर में हुआ था।

रामनवमी त्यौहार का महत्व

हिन्दू लोगों के लिए रामनवमी त्यौहार का बहुत ही बड़ा महत्व है। कहा जाता है रामनवमी की पूजा करने वाले व्यक्ति के जीवन से सभी बुरी शक्तियां दूर होती हैं और दैवीय शक्ति मिलती है। रामनवमी का त्यौहार की पूजा सबसे पहले सवेरे सूर्य देव को पानी चढ़ा कर शुरू होता है।

राम नवमी के दिन जगह-जगह घरों और मंदिरों में श्री राम की पूजा-अर्चना की जाती है और झांकियां सजाई जाती हैं। हजारों श्रद्धालुओं के द्वारा अयोध्या (उत्तर प्रदेश), सीतामढ़ी (बिहार), रामेश्वरम (तमिलनाडु), भद्राचलम (आंध्रप्रदेश) आदि स्थलों पर राम नवमी के भव्य समारोह का आयोजन किया जाता है।

कुछ स्थानों (जैसे- अयोध्या, वाराणसी आदि) पर, भगवान राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की रथ यात्रा अर्थात् जुलूस (शोभा यात्रा) को हजारों श्रद्धालुओं के द्वारा पवित्र नदी गंगा या सरयू में प``वित्र डुबकी लेने के बाद निकाला जाता है।

श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में इस पर्व को बेहद हर्षोल्ललास के साथ मनाया जाता है। रामनवमी के समय अयोध्या में भव्य मेले का आयोजन होता है, जगह-जगह राम लीला का आयोजन किया जाता है |

Thursday, March 12, 2020

विश्व जल दिवस पर निबंध || World Water Day Essay in Hindi || Simple & Sho...





विश्व जल दिवस पर निबंध (World Water Day Essay in Hindi)







जल ही जीवन है। इसके बिना जीवन की कल्पना करना भी असंभव है इसी जल को बचाने के लिए प्रत्येक बर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है इसका उद्देशय जल के संरक्षण और रख-रखाव पर जागरुक करना है। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1993 में एक सामान्य सभा के माध्यम से इस दिन को एक वार्षिक कार्यक्रम के रुप में मनाने का निर्णय किया। इस अभियान में लोगों की जागरुकता बढ़ाने के लिये जल के महत्व की आवश्यकता और जल संरक्षण के बारे में समझाने के लिये हर वर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रुप में मनाया जाने लगा।



विश्व जल दिवस एक अंतरराष्ट्रीय दिवस है। इसका उद्देश्य पानी से संबंधित मुद्दों के बारे में अधिक जानने और इसके लिये सुधार लाने के लिये यह दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करना है।



विश्व जल दिवस भारत, यू एस ए, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, जापान, घाना, बांग्लादेश, जर्मनी, नाइजीरिया, मिस्र और दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा मनाया जाता है। विश्व जल दिवस पानी और इसके संरक्षण के महत्व पर केंद्रित है।



पूरे भारत में कई स्कूलों और कॉलेजों में विश्व जल दिवस पर भाषण और निबंध प्रतियोगिताये होती है और इन प्रतियोगिताओं में आमतौर पर पानी और इसके संरक्षण से संबंधित विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है।



नीले रंग की जल की बूँद की आकृति विश्व जल दिवस उत्सव का मुख्य चिन्ह है।



धरती पर लगभग केवल 1 प्रतिशत ताजा पानी नदी, तालाब, झरनों और झीलों में है जो पीने लायक है।





जल जनित बीमारियों के कारण प्रतिवर्ष 22 लाख मौतें विश्व में होती हैं। पानी के संसाधन जो उपयोग के लिए उपलब्ध हैं हमें उनका सही तरीके से उपयोग करना चहिये।





World Water Day Themes





2000 में विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “21वीं सदी के लिये पानी की आवश्यकता”।

2001 में विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “जल, स्वास्थ के लिये”।

2002 में विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “जल, विकास के लिये”।

2003 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “जल, भविष्य के लिये”।

2004 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “आपदा और जल”।

2005 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “2005 से 2015 जीवन के लिये पानी”।

2006 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “जल और संस्कृति”।

2007 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “जल दुर्लभता के साथ मुंडेर”

2008 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “स्वच्छता और सफाई”।

2009 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “जल के पार”।

2010 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “स्वस्थ विश्व के लिये स्वच्छ जल”।

2011 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “शहर के लिये जल”।

2012 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “जल और खाद्य सुरक्षा”।

2013 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “जल सहयोग”।

2014 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “जल और ऊर्जा”।

2015 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “जल और दीर्घकालिक विकास”।

2016 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “जल और नौकरियाँ”

2017 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “अपशिष्ट जल” होगा।

2018 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “जल के लिए प्रकृति के आधार पर समाधान”

2019 के विश्व जल दिवस उत्सव की थीम थी “कोई भी पीछे छोड़”

Wednesday, March 11, 2020

बिहार दिवस पर निबंध || Short Essay on Bihar Day (22 March) in Hindi || B...






बिहार दिवस पर निबंध: ब्रिटिश हुकूमत ने 22 मार्च, 1912 को बंगाल प्रेसीडेंसी से बिहार को अलग कर दिया था | इसी दिन की याद में बिहार दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है | मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा शुरू किया गया ये दिवस पहली बार 2010 में मनाया गया था|
22 मार्च को बिहार में सार्वजनिक अवकाश होता है|
बिहार भारत का एक प्रशासनिक राज्य है। बिहार राजनीति का एक केंद्र बिंदु है | इस देश में से गंगा नदी और उनकी अन्य सहायक नदियों का भी स्थान बिहार देश में बसा है |

महात्मा गांधीजी ने बिहार से ही सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरुवात की थी |बिहार का पुरातन काल का नाम ‘मगध’ था | बिहार की राजधानी पटना है | यहाँ की मुख्य भाषा हिंदी, उर्दू, मैथिली, भोजपुरी, मागधी, अंगिका आदि हैं। बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थल महात्मा गाँधी सेतु, महाबोधि मंदिर, नालन्दा विश्वविद्यालय, विष्णुपाद मंदिर, बोधगया मंदिर आदि हैं।

बिहार की सीमाएं पूर्व में पश्चिम बंगाल (West Bengal), पशिचम में उत्तर प्रदेश, दक्षिण में झारखण्ड और उत्तर में नेपाल से जुड़ीं है। सन् 2000 में झारखंड राज्य इससे अलग कर दिया गया। बिहार यह एक बहुत बड़ा राज्य है | यह सांस्कृतिक दृष्टी से भी महत्वपूर्ण है |

Thursday, March 5, 2020

Coronavirus क्या है, बीमारी के लक्षण, इलाज और बचाव || कोरोनावायरस की जानकारी: सुरक्षित कैसे रहें

Image result for coronavirus

Coronavirus

क्या है कोरोना वायरस (What is Coronavirus)

कोरोनवायरस, जिसे अब SARS-CoV-2 कहा जाता है, इस रोग का कारण COVID-19 है। कोरोना वायरस (सीओवी) का संबंध वायरस के ऐसे परिवार से है, जिसके संक्रमण से जुकाम से लेकर सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है| कोरोना वायरस की वजह से रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट यानी श्वसन तंत्र में हल्का इंफेक्शन हो जाता है जैसा कि आमतौर पर कॉमन कोल्ड यानी सर्दी-जुकाम में देखने को मिलता है। इस वायरस को पहले कभी नहीं देखा गया है | इस वायरस का संक्रमण दिसंबर में चीन के वुहान में शुरू हुआ था |

कोरोना वायरस इंफेक्शन के लक्षण क्या हैं (What are the symptoms of coronavirus infection)

हालांकि इस बीमारी के लक्षण बेहद कॉमन हैं और कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से पीड़ित न हो तब भी उसमें ऐसे लक्षण दिख सकते हैं। निम्नलिखित लक्षण एक्सपोज़र के 2-14 दिन बाद दिखाई दे सकते हैं। *

बुखार और थकान
खांसी
साँस लेने में कठिनाई
मांसपेशियों में दर्द
नाक बहना
सिर में तेज दर्द
गला खराब
थकान और उल्टी महसूस होना
निमोनिया
ब्रॉन्काइटिस

कोरोनावायरस की जानकारी: सुरक्षित कैसे रहें (Coronavirus information: how to stay safe)
अपने हाथों को धोना सबसे सरल चीजों में से एक है जिसे आप कोरोनोवायरस को पकड़ने से रोक सकते हैं। हाथों को अच्छी तरह से धोएं और हाथों की सफाई का पूरा ध्यान रखें | साबुन या गर्म पानी से लगभग 20 सेकेंड तक हाथ धोएं |

ऐसे लोगों के साथ निकट संपर्क से बचें जो अस्वस्थ हैं |


खांसी और छींक के लिए tissue का उपयोग करें | यदि आपके पास tissue नहीं है तो अपनी आस्तीन का उपयोग करें |


अपने हाथ और उंगलियों से आंख, नाक और मुंह को बार-बार न छूएं |
Image result for coronavirus



कोरोना वायरस को फैलने से कैसे रोकें (How to stop the coronavirus from spreading)

इस जानलेवा कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने की जरूरत है। WHO ने कुछ गाइडलाइंस भी दिए हैं ताकि इस जानलेवा बीमारी को फैलने से रोका जा सके
बीमार मरीजों की सही तरीके से मॉनिटरिंग की जाए
रेस्पिरेटरी यानी सांस से जुड़ी बीमारी के लक्षण किसी में दिखें तो उससे दूर ही रहें
जिन देशों या जगहों पर इस बीमारी का प्रकोप फैला है वहां यात्रा करने से बचें
पब्लिक प्लेस, पब्लिक ट्रांसपोर्ट में कुछ भी छूने या किसी से हाथ मिलाने से बचें

क्या कोरोना वायरस से मौत हो सकती है (Can corona virus cause death)

वैसे तो कोरोना वायरस की शुरुआत सामान्य सर्दी-जुकाम या निमोनिया जैसी होती है लेकिन अगर केस गंभीर हो जाए तो इस इंफेक्शन की वजह से सीवियर अक्यूट रेस्पिरेटरी सिन्ड्रोम, किडनी फेलियर या मल्टीपल ऑर्गन फेलियर तक हो सकता है जिस वजह से मौत हो सकती है।

Wednesday, March 4, 2020

Holi Festival Essay || Easy & Short Essay on Holi in Hindi || Holi per N...







होली पर निबंध (Simple and Short Essay on Holi Festival in Hindi)


होली हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। होली रंगो और हँसी -ख़ुशी का त्योहार है। यह एक ऐसा त्योहार है जिस दिन लोग अपने बीच के मतभेद को भूल जाते है। इस दिन बच्चे रंगों से खेलते हैं और बड़ों के आशीर्वाद लेते हैं । इसे एकता, प्यार, खुशी, सुख, और जीत का त्योहार के रुप में भी जाना जाता है। होली हमारे देश में राष्ट्रीय त्योहार की तरह मनाया जाता है, इस दिन सभी स्कूल, कालेज, विश्वविद्यालय, कार्यालय, बैंक और दूसरे सभी संस्थान बंद रहते है ताकि सभी लोग अपने परिवार के साथ इस रंगीले त्योहार का लुत्फ उठा सके। होली का ये उत्सव फागुन के अंतिम दिन होलिका दहन की शाम से शुरु होता है | होलिका दहन के अगले दिन सभी लोग अपने मित्र, परिवार और सगे-संबंधियों के साथ रंगों से खेलते है। इस दिन बच्चे गुबारों और पिचकारियों में रंग भरकर दूसरों पर फेंकते है। सभी एक-दूसरे के घर जाकर गले लगाते है साथ ही अबीर लगाकर अपनत्व और प्यार का इजहार करते है। इस खास अवसर पर सभी अपने घर में मिठाई, दही-बढ़े, नमकीन, पापड़ आदि बनवाते है।


Sunday, March 1, 2020

महिला दिवस पर निबंध हिंदी में || Essay on International Women’s Day || M...







अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है | समाज में महिलाओं को सम्मान देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को पूरे विश्व में मनाया जाता है। लैंगिक समानता लाने के लिए महिलाओं का सशक्तीकरण बहुत जरूरी है। सोशल, राजनीति और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में महिलाओं की उपलब्धियों का सम्मान करने के लिए विश्व स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है | अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस वह दिन है जो विशेष रूप से महिलाओं के लिए समर्पित हैं। इस दुनिया में महिलाओं के बिना जीवन संभव नहीं है। महिलाओं में देखभाल, स्नेह, और अंतहीन प्यार करने की विशेष भावनाएं शामिल होती हैं।

एक महिला होने के नाते महिलाओं के लिए एक खास दिन होना अच्छा लगता है जहाँ उन्हें सराहा और सम्मानित किया जा सके लेकिन मुझे लगता है कि महिला का सम्मान सिर्फ महिला होने के कारण ही नहीं होना चाहिए बल्कि इसलिए भी क्योंकि उनकी खुद अपनी व्यक्तिगत पहचान है। वे समाज की भलाई में समान रूप से योगदान करती हैं। वह बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और अपने घर को भी कुशलतापूर्वक प्रबंधित करती है। प्रत्येक महिला को अपना महत्व समझना चाहिए और उनमें अपनी प्रगति के लिए प्रयास करने का साहस होना चाहिए|

आज की महिला अब एक आश्रित नारी नहीं है। वह स्वतंत्र और आत्मनिर्भर है और हर चीज करने में सक्षम है। चलिए उनके अस्तित्व के महत्व को पहचानें और भविष्य की उपलब्धियों के लिए उन्हें प्रेरित करें।


अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत साल 1908 में न्यूयॉर्क से हुई थी, इसके बाद साल 1910 में क्लारा जेटकिन ने कामकाजी महिलाओं के एक अंतराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान इस दिन को अंतराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का सुझाव दिया. इसके बाद 1917 में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान रूस की महिलाओं ने तंग आकर खाना और शांति (ब्रेड एंड पीस) के लिए विरोध प्रदर्शन किया. रूसी महिलाओं ने जिस दिन इस हड़ताल कि शुरुआत की थी, वह दिन 28 फरवरी था और ग्रेगेरियन केलेण्डर में यह दिन 8 मार्च था, तब ही से 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा.



महिला दिवस का उद्देश्य

महिला दिवस मनाने का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य महिला और पुरुषो में समानता बनाए रखना है. आज भी दुनिया में कई हिस्से ऐसे है, जहां महिलाओं को समानता का अधिकार उपलब्ध नहीं है. नौकरी में जहां महिलाओं को पदोन्नति में बाधाओं का सामना करना पड़ता है, वहीं स्वरोजगार के क्षेत्र में महिलाए आज भी पिछड़ी हुई है.

कई देशों में अब भी महिलाएं शिक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से पिछड़ी हुई है. इसके अलावा महिलाओं के प्रति हिंसा के मामले भी अब भी देखे जा सकते है. महिला दिवस मनाने के एक उद्देश्य लोगों को इस संबंध में जागरूक करना है.